क्यों श्रीरामजी को अदालत जाना पड़ा | रामजी और केवट की कहानी by Sagar Sinha – YouTube

(00:00) स्मरण और अनुसरण दो वर्ड है स्मरण का मतलब याद रखना अनुसरण का मतलब फॉलो करना आज हम राम की बातें करते हैं कृष्ण की बातें करते हैं शिव की बातें करते हैं यानी कि हमारे को स्मरण है याद है कि वह क्या कहते हैं लेकिन क्या अनुसरण करते हैं कृष्ण ने बोला धर्म भगवान गीता ने बोला है कि धर्म की राह पर चलो और घर आके जय श्री राम टीशर्ट पे लिखा रहता है इधर बाइक पे नंबर प्लेट पे फर में पीछे वो हनुमान जी का आधा मुंह का स्टीकर आजक चल रहा है नहीं यानी कि हमको याद है स्मरण है कि हनुमान जी कौन है मरण है कि राम कौन है स्मरण है कि गीता

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(00:32) में क्या कहा लेकिन क्या अनुसरण है क्या हम फॉलो भी करते हैं क्या एक कहानी सुनाता हूं राम जी की जानते हो राम जी कौन है ध्यान से सुनिए इस कहानी ने जब मैं पहली बार सुन रहा था ना तो मैं टेंशन में आ गया था इस कहानी को सुन कर के आप टेंशन में मत आना बड़ा फेमस है वृंदावन में आप जाओगे ना तो वहां पे उनके एक जज साहब की कहानी बड़ी फेमस है कहानी क्या है जज साहब वहीं रहा करते थे एक वृंदावन में पता है किसी को नहीं पता बताता हूं वो जज साहब की क्या कहानी है रियल कहानी है ये और कुछ सालों पहले की कहानी कुछ सालों पहले उनकी डेथ हुई है रियल कहानी है सुनिए

(01:01) क्या कहानी है साउथ के एरिया के जज साहब थे साउथ के किसी शहर में एक जज हुआ करते थे तो उन जज जज साहब के पास एक केस आया उनके कोर्ट में केस क्या था एक गांव में एक केवट रहा करता था और केवट बड़ा गरीब था लेकिन पक्का राम भक्त था वो उसका घर बार कुछ नहीं था इतना गरीब राम मंदिर में ही रहता था बस वो मंदिर में ही सोना उठना सब कुछ उसका वहीं होता था उसने जमींदार से पैसा ले रखा था कुछ अच्छा जमींदार को उसने वापस भी कर दिया लेकिन जमींदार इतना पैसे का लालची केस कर दिया उसपे कि ये पैसा नहीं दे रहा है मेरा जबकि के केवट ने पैसे भी दे दिए थे अब केस पहुंचा कोर्ट

(01:32) में तो कोर्ट में बुलाया गया केवट को जज साहब ने पूछा केवट से कि भाई क्या हिसाब किताब है पैसा कहां नहीं दे रहे हो केवट बोला माय बाप हम तो पैसा दे दिए हैं जमींदार साब इल्जाम लगा रहे हैं हम तो पैसा दे चुके हैं तो जस साहब कह रहे हैं कि जब पैसा दिए थे तो तुम्हारे अलावा कोई था वहां पर देखने वाला बोले हां तीन लोग थे हम थे जमींदार साहब थे और हमारे रघुनाथ जी थे तो जज साहब को लगा रघुनाथ जी कोई आदमी होगा तुरंत लेटर इशू कर दिया स समवन कि रघुनाथ जी को अगली बार बुलाया जाए तो संत्री लेटर लेकर करके गांव में पहुंचा पता चले कोई भी रघुनाथ जी नाम का आदमी

(02:03) नहीं यहां पर पहुंचते पहुंचते गांव के लास्ट में मंदिर था मंदिर पुजाई मिला भैया रघुनाथ जी यहीं रहते हैं तो मंत्री पुजारी बोलता है रघुनाथ जी यहीं रहते हैं तो उसको लगा रघुनाथ जी मंत्री के बारे में पूछ रहा है बोला हां रघुनाथ जी यहीं रहते हैं तुरंत संत्री ने लेट समाजवाद निकाल के पकड़ पकड़वा दिया भैया बोल देना कोर्ट में हाजरी है पुजारी सोच में सोच पाए कुछ ये क्या बोल गया तब तक तो लेटर देकर के साइकिल प निकल गया तो उसको समझ में आ गया अच्छा अच्छा केवट का केस चल रहा है उसी चक्कर में केवट ने बोला होगा कि रघुनाथ जी तो लेटर ले जाकर के व रघुनाथ जी के मंदिर

(02:32) में रघुनाथ जी कौन राम जी के मंदिर में नीचे जाकर के पैर में रख देता है कि प्रभु आपका भक्त मुसीबत में है उस केवट ने जरूर आपका नाम ले लिया होगा और आज मुसीबत में है आपके लिए अब तक तो मिठाई आया लोगों ने कपड़े लते भिजवाए श्रृंगार की चीजें भिजवाई आज पहली बार कोर्ट का बुलावा आया है आपके लिए तो अब देख लीजिएगा प्रभु भक्त है आपका बड़ी उम्मीदों से नाम लिया होगा उसका बड़ा भरोसा करता है आपको देख लीजिएगा कहीं उसका भरोसा ना टूट पाए विनती कर लिया पुजारी ने अच्छा जिस दिन डेट आया कोर्ट का पुजारी जो है राम जी को बढ़िया से सजा हो

(03:04) जा दिया मूर्ति को कि आज हमारे रघुनाथ जी कोर्ट जाने वाले थे बढ़िया कपड़ा में जाएंगे और रघुनाथ जी पहुंच गए कोर्ट में फटा पुराना कपड़ा बुढ़ऊ का वेश धारण करके बदबूदार कपड़ा एकदम बाल ऐसे जटा ल ल कोर्ट देखा य रघुनाथ ए चलो कटग खड़े हो गवाही लिया गया और ऐसा गवाही दिए ऐसा गवाही दिए ऐसा गवाही दिए कि कोर्ट एक ही दिन में केस खत्म जमींदार को सजा हो गया लेकिन कोर्ट जब खत्म होते होते फैसला सुनाते सुनाते जज साहब का दिमाग हिल गया था हो क्या रहा है कैसा आ गया कौन आदमी था जो ऐसा गवाही दिया जो एक ही दिन में कोर्ट खत्म हो गया केस

(03:34) खत्म हो गया तुरंत भाग करके केस खत्म करके अपने कबि में गया जज और जज कबिर में जाकर के केवट को बुलाते है केवट इधर आओ बैठो जरा बोला ये कौन थे जो आए थे बोले ये तो रघुनाथ जी थे तो उससे पूछे तुम रहते कहां हो बोले हम तो मंदिर में रहते हैं रघुनाथ जी के तो जज को ये लगा अच्छा ये रघुनाथ जी मंदिर बनवाए थे उसको ये लगा तो कह रहा है ये तो बड़ा गरीब लग रहे थे ये कैसे मंदिर बनवाए थे केवट कहता है ये मंदिर बनवाने वाले रघुनाथ जी नहीं थे ये मंदिर में वास करने वाले रघुनाथ जी थे जज का दिमाग खराब हो गया संत्री को तुरंत बुलाया उससे पूछा

(04:02) सच सच बताओ तुम चिट्ठी किसको देकर के आए हो संत्री एकदम घबराए हुए प्रभु माय बाप रघुनाथ जी नाम का कोई आदमी उस गांव में मिला ही नहीं तो हम क्या करते देना था तो हम पुजारी के हाथ में दे दिए रघुनाथ जी के मंदिर के पुजारी में जज को सब बात समझ में आ गया अच्छे घर जाकर के दरवाजा बंद करके जोर-जोर से रोने लग गया पत्नी आई उधर से बच्चे आए क्या हो गया काहे ऐसे रो रहे हैं बताया सारा घटना क्याक हुआ है आज तो पत्नी बोले अरे तो अच्छी बात है रघुनाथ जी के दर्शन हो गए आपको कहे इतना टेंशन में चले गए वो बोले मैं इसलिए टेंशन में नहीं हूं इसलिए

(04:32) नहीं रो रहा हूं वो चले गए बोले जिस रघुनाथ जी के दरबार में पूरी दुनिया खड़ी रहती है हम उनको अपने दरबार में खड़ा रखे और हम बैठे थे उसी दिन अपना घर बार सब छोड़ कर के वृंदावन चले गए और कहते हैं कि जब तक जिंदा रहे वो बैठे ही नहीं लोग पूछते थे कहे नहीं बैठते भैया जद साहब तो कहते ये हमारी सजा है हमने रघुनाथ जी को अपने दरबार में खड़ा रखा ये हमारी सजा हम जब तक जिंदा रहेंगे बैठेंगे ये है राम जी भक्त के बुलाने पर कोर्ट भी चले जाते

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