How to Harness the Power of the Mind in 2024? Full Seminar Video | Sagar Sinha

हम जब छोटे थे ना आप लोगों ने भी किया होगा पतंग उड़ाते हैं ना तो हमारे यहां प बिहार में उसको गुड्डी बोलते हैं गुड्डी इधर भी है कोई बोलने वाला है क्या अच्छा ठीक है तो इधर गुड्डी ही बोलते हैं क्या चलो फिर तो भले बछ तो अब गुड्डी को उड़ाएंगे कैसे जिस धागे में उड़ाते हैं वो धागा तो कमजोर होता है तो उसको क्या करते हैं मजबूत बनाने के लिए चूंकि गुड्डी उड़ा रहे हैं तो दूसरे पतंगों से उसको लड़ाना है तो लड़ाने के लिए क्या किया जाता है मैदा गोंद ये सबका कुछ शीशे का टुकड़ा शीशे का भूरा बना कर के उसको एक जगह उसका घोल बनाया जाता है उसके बाद

How to Harness the Power of the Mind in 2024 Full Seminar Video Sagar Sinha

(00:30) हां साबूदाना मिला कर के फिर उसको दो आदमी पकड़ता है एक लटाई इधर लेकर के एक लटाई उधर लेकर के और एक आदमी धागे को मंझा देता है उसके बाद उस मजने के बाद धागे का हसल क्या होता है वह धागा अपने आप में इस लायक बन चुका होता है कि वह जिस भी धागे से टकराएगा उसको हम सबको ऊपर वाले ने धागा बनाया है मंजना हमारे को पड़ता [प्रशंसा] है अब सवाल आता है उन का ही मंथन क्यों शरीर का क्यों नहीं पुराने ज अच्छा मुझे एक बात बताओ वो जितने लोग मंत्री संत्री सेनापति सब लोग नीचे होते थे वो सब अगर मिल जाए तो राजा की पिटाई नहीं कर सकते थे क्या बड़े आराम से राजा को हरा देते राजा

(01:12) को गुलाम बना कर के जेल में डाल सकते थे लेकिन कोई भी इस चीज की हिम्मत तक नहीं करता क्या राजा के शारीरिक शक्ति की वजह से यानी कि एक चीज तो समझ में आता है जिसकी शक्ति इधर है सर दुनिया का बड़ा से बड़ा धुरंधर उसके नीचे ही [प्रशंसा] बैठेगा और वैसे भी शिवजी की जब शादी हुई थी ना मां सती से तो शादी करके हम लोग लड़की को अपने घर लाते हैं ना तो शिवजी भी अपने घर लेकर के आए मां सती को और शिवजी का घर कौन सा कैलाश हिमालय पहली बार सती उधर गई थी तो सती जब हिमालय गई तो अच्छा सती रहती कहां थी पहले धरती पर हिमालय गई तो एकदम ठंड में कुरने लग गई कांपने लगी और अपने

(01:50) शिवजी क्या शिवजी तो वो शेर के खाल लेकर के ऊपर कुछ पहनना नहीं वो चले जा रहा है वो तो बचपन से उधर ही रह रहे हैं तो उनको कोई दिक्कत नहीं सारे नंदी शिवगंज भूत प्रेत जो है वो सब चले जा रहे हैं उनको कोई फर्क नहीं पड़ रहा लेकिन सती जो है कहर रही है ठंड तो नंदी के ध्यान नंदी का ध्यान पड़ता है सती पर तो नंदी चुपके से शिवजी के पास कहते हैं कि प्रभु माता कुहर रही है ठंडा लग रहा है माता को कुछ उपाय कीजिए तो शिवजी मुस्कुराते हुए कहते हैं देखो ये जो ठंड है ये जो तकलीफ है ये शारीरिक तकलीफ है और जिस इंसान में मानसिक शक्ति है ना शारीरिक बड़ी से बड़ी तकलीफों

(02:18) को वो जीत सकता है तो कहने का मतलब ये शिवजी उसे ये समझाना चाहते हैं कि अब चूंकि सती को यही रहना है तो उसको अपने अपने को अपने शरीर को इस लायक बनाना पड़ेगा कि वो ठंड को बड़े आराम से झेल पाए अच्छा और ये चीज पॉसिबल कब है शिव जी कहते हैं एक प्रक्रिया है अभ्यास अभ्यास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी वजह से दुनिया में कोई भी ऐसा प्रोसेस ऐसा कोई काम नहीं है जिस पर आदमी उसका मालिकाना हक ना ले सके तो ठंड कौन सी बड़ी बात है सती प्रयास में लग जाएगी या अभ्यास में लग जाएगी आज से क्योंकि रहना उसको यही है तो यूज टू हो जाएगी नंदी समझ गए बात को और ये सारी

(02:50) बातें सती भी सुन रही थी तो वो भी समझ गई यानी कि ये सब बताने का मकसद क्या है इट्स ऑल अबाउट मन सफलता का कोई एंड नहीं है इस जगह पर पहुंच गए हम सफल हो गए एक प्रक्रिया है है जो हमारे को जिंदगी भर करना है एक प्रक्रिया है जब तक सांसें हम ले और छोड़ रहे हैं हमारे को ये प्रक्रिया अपनी जिंदगी में रखे रखना है करते ही रहना जिस दिन ये प्रक्रिया छूटी फ्रस्ट्रेट होने लग जाओगे और जिस दिन फ्रस्ट्रेशन आने लग गया सर आप जिस भी मुकाम पर हो आपको एक ठहराव महसूस होगा मेरी जिंदगी ठहर गरही है आगे बढ़ नहीं र और वहीं से आदमी डिप्रेशन और फिर सुसाइड तक जाके रुकता है उस

(03:21) प्रक्रिया को कहते हैं सर बेहतर होने की प्रक्रिया खुद में बेहतरी लाने का खुद को अच्छा बनाते रहने का अपनी स्किल को एवरी डे इंप्रूव करते रहने का स्किल फिजिकल लेवल पे मेंटल लेवल हम बेहतर बनते रह गए पूरी जिंदगी कभी वो लेवल नहीं आएगा जब आपको ठहराव महसूस होगा हमारे गुरुजी कहते थे कि इंसान को सबसे ज्यादा खुशी तब होती है जब वो जिंदगी में प्रोग्रेस करता है और सुबह-सुबह फ्रेश हो जाता है ये दो मोमेंट होता है जो आदमी खुश रहता है जो आदमी सुबह-सुबह फ्रेश ना हो पाया उसकी हालत पूरे दिन देखो चेहरे पे खुशी नहीं आएगी और जो आदमी ठहर गया है चाहे किसी भी मुकाम पे

(03:51) जाके वो फ्रस्ट्रेट हो जाएगा सर वो डिप्रेशन में चला जाएगा फर तो आज के सेशन में जो हम सीखेंगे आज हम बेहतर बनना सीखेंगे कामयाब होने नहीं सिखाने वाला और कामयाब होना कोई सिखा भी नहीं सकता बेहतर बनते रहे तो एक दिन कामयाब भी हो जाएंगे तो बेहतर बनने के लिए आज 18 लेसन आपके लिए मैं लेकर के आया 18 लेसन जिसमें से पहला लेसन है आप ध्यान से समझेगा अब हो गया सनि मा शुरू सर पहला लेसन है उचित समय का महत्व विचारों की शक्ति को समझो सर हमारे दिमाग में जितने भी थॉट जितने भी विचार आते हैं ना ये सब सीधा वायुमंडल से यानी कि सृष्टि से ये जो बाहर की दुनिया है जो

(04:21) हमें दिखता नहीं है ये सब इससे इंटरेक्ट करते हैं सब इससे बातें करते हैं हमारे दिमाग में चाहे जिस भी तरह का सोच चल रहा हो ना ये सोच जब तक अंदर है हम इसकी परिभाषा सोच से कहते हैं और यह सोच जैसे ही वायुमंडल में आता है इसको एनर्जी हम कह देते हैं दुनिया में हर चीज एक दूसरे से इंटरेक्ट करती है एनर्जी के माध्यम से ऊर्जा के माध्यम से फॉर एग्जांपल आप अगर कोई काले रंग की फुर लेकर के आया आपके मोहल्ले में बगल में और आप देख कर के आपकी आपका दिमाग सड़ जाए सड़ जाए कहने का मतलब मानो खड़ जाए अरे हम तो स्कूटी नहीं ले पाए और फर ले वाले जरूर दो नंबर का काम

(04:49) किया होगा जरूर पैसा मारा होगा जरूर कुछ गड़बड़ कर रहा होगा अच्छा जब सुबह नीचे उतर रहे हैं यही यही दिख रहा है ब्लैक वाला फर्चर उसका और देख कर के मूड खराब हो जा रहा है तो एक दिन सर ये सोचते सोचते सोचते सोचते अपने घर से आप छोटा सा क्लिप लेकर के आओगे ब्लेड लेकर के आओगे और नीचे उसके मारते हुए निकल जाओगे और उस दिन आपको बड़ा तसल्ली फील होगा अच्छा लगेगा अच्छा किया बुरा किया बुरा किया ना अब ये जो आपने काम किया ना सर वो मारने वाला उसका पेंट उखाड़ने वाला वो एक दिन तुरंत नहीं हुआ पिछले कुछ दिनों से आपके दिमाग में एक सोच घूम रहा था वो सोच कैसी थी

(05:19) डिस्ट्रक्टिव नेगेटिव और वायुमंडल में जब वो एनर्जी बन के जा रही थी तो वायुमंडल ने क्या किया आपको एक आईडिया दिया एज अ रिटर्न एज अ रिजल्ट आपको वो आईडिया दिया कि तू ये काम भी कर सकता है कर ले आप कुछ भी सोचो या या ये भी सोच सकते थे उस फुर को देखकर अरे बड़ा बढ़िया गाड़ी लेकर के आया ब्लैक एकदम चमचमा रही है मेरा भी मन है फचर लेंगे लेकिन हम वाइट कलर का लेंगे बड़ा मेहनत किया होगा इसको लाने के लिए अच्छा उससे जाके मिलने लग गए कि कैसे लिए भैया क्या काम करते हैं पता रे बड़ा साल से मेहनत कर रहे हैं अब जाके मेरा सपना पूरा हुआ सपना था फर लेना अब जाके आप रोज

(05:53) जबजब उसको देखोगे आप में एक प्रेरणा आएगी मोटिवेशन आएगा हमको भी लेना हैसा हमको भी लेना है हमको भी लेना है सुबह जा रहे हो उसको देख करके और बाहर निकल रहे हो काम करने के लिए तो एकदम रहेगा मोटिवेशन आ व फर्च लेता है यानी कि जिस तरह की सोच है सर उसी तरह का वायुमंडल आपको रिस्पांस करता है अगर आपकी सोच को कोई चीज अंजाम तक पहुंचाता है ना वो सिर्फ एक चीज है वायुमंडल ये सृष्टि और कुछ नहीं अगला लेसन है सर ध्यान से सुनिए तपस्या कहते हैं कि जब तक ताकत बिना मैच्योरिटी के अगर किसी को दे दिया गया वो ताकत उसको भी बर्बाद करेगी और वो दूसरों को भी खराब करेगा

(06:26) ध्यान समझिए अभी समझाना चाह रहा हूं पावर विदाउट मैच्योरिटी इज पॉइजन डेंजरस बर्बाद करेगा एग्जांपल हनुमान जी बचपन से ताकतवर थे बचपन से उनको शक्ति मिली हुई थी तो आप सबको पता ही होगा वो जाकर क्या किए थे सूरज को और साथ में ऋषि मुनि सबको परेशान करते रहते हैं अब ताकत है उदंड है बचपन है मैच्योरिटी है नहीं बुद्धि है नहीं तब ताकत है तो उदंड करेंगे ना नुकसान तो पहुंचाएंगे ना तो सारे ऋषि ऋषि मिलकर के उनको शराब दिया कि भाई जब तक तुमको तुम कोई याद ना दिलाएगा जब तक तुम मैच्योर ना हो जाओ बड़े ना हो जाओ तुमको शक्ति नहीं मिलने का और जब बड़े हुए तब शक्ति का

(06:55) एहसास किन्ने कराया किन्ने जाम बंद ने तब जाके शक्ति का एहसास हुआ और और शक्ति भी ऐसी जब जरूरत थी तब शक्ति का एहसास हुआ तो उसका सदुपयोग हुआ समाज के हित में काम हुआ इसी तरीके से सर पैसे का खेल होता है जब हम ये सोचते हैं ना कि हमारे को पैसा मिल जाए कामयाबी एक बार मिल जाए फिर तो हम सब कुछ ठीक कर देंगे थोड़ा पैसा आ जाए हाथ में तो हम मेहनत भी बढ़ा दें सर पैसा अगर आ भी गया ना बिना मैच्योरिटी के बिना मेहनत के आप ऐसे कई लड़कों को देखते होंगे 17-18 साल के लड़के वो i चमकाते हुए रहते हैं i लेकर घूमते हैं तीन कैमरा पीछे बाऊज

(07:24) के पैसे से लिए हुए होते हैं अच्छा बाऊज ने कभी आई नहीं लिया होगा जिस बाप ने अपने बेटे को 17 साल के बेटे को पैसा दिया ₹ लाख आ खरीदने के लिए वो बाप कभी सोचता भी नहीं है i लेने के लिए मालूम क्यों बाप ने बड़ी मैच्योरिटी से बड़ी मेहनत करके वो पैसा कमाया है उसको पता है 5 लाख कैसे कमाए जाते हैं लेकिन जो 17 साल का लौंडा है ना उसको पता ही नहीं 5 लाख कमाए कैसे जाते हैं यानी कि पैसा एक पावर एक ऐसा पावर है उस निकम्मे के हाथ में दे पकड़ा गया हो तो उसको 5 लाख की बजाय 10 लाख पकड़ा दो हंडा सिटी ले आएगा उसको 5 लाख की बजाय हाथ में 50 लाख पकड़ा दो फर ले आएगा

(07:58) और पैसा पकड़ा तो घूमने लेके चला घूमने चला जाएगा यानी कि पैसे का इस्तेमाल वो बर्बाद करने में ही करेगा मैच्योरिटी के बिना पावर मिली ना उसको सर ऐसे ही पार्वती जो दूसरी पत्नी बनी महादेव महादेव की पहली पत्नी तो सती थी वो सती तो उनकी डेथ हो गई थी तो दूसरी पत्नी जब पार्वती अच्छा पार्वती आदि शक्ति का रूप थी तो बचपन से तपस्या वगैरह करती थी इनका बचपन से ड्रीम था कि हमको शिव से शादी करनी है और शिव इग्नोर करते थे नहीं भा हमको अब शादी नहीं करनी है पहली बार हम शादी करके देख लिए शादी से अब दूसरी बार शादी करनी ही नहीं करनी है हमको अच्छा सारे देवता लगे हुए

(08:28) हैं इस साजिश में कि शिव किसी तरीके से मान जाए पार्वती की बात मान जाए भारती की शादी करने के लिए तैयार हो जाए इसका कारण क्या था कि जब तक पार्वती से शादी नहीं होती शिव की एक एक राक्षस हुआ करता था उस वक्त वो राक्षस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी थी लेकिन उस राक्षस ने शिवजी से वो ले रखा था क्या कहते हैं उसको वरदान कि हमको कोई मार नहीं सकता अच्छा वरदान में ये भी था कि अगर वो मरेगा तो सिर्फ और सिर्फ और सिर्फ शिवजी के बेटे से ही मरेगा अच्छा शिवजी से शादी करने को तैयार नहीं सर पार्वती ने इतना तपस्या किया इतना तपस्या किया और इस इस किस लेवल का तपस्या

(09:00) किया शिवजी को खुश करने के लिए एक समय तो ऐसा हुआ था शरीर हड्डी बन गया था सारे मांस गलते चले गए थे मतलब ये हुआ कि अगर वहां पर विष्णु जी आकर के नहीं रोकते पार्वती जी को मतलब सांस छूट जाता ये होता अच्छा यहां पे समझिए हमें लग सकता है शिवजी इतने क्रूर हैं क्या ये सब प्लानिंग थी क्यों क्योंकि सती से जब उन्होंने पहली बार शादी किया था सती मैच्योर नहीं थी मतलब पूरा मानवीय गुण था उनमें बच्चों वाली थोड़ी बुद्धि थी जिसकी वजह से सती की गलतियों की वजह से वो पार्वती शादी नहीं कर रहे थे तो वो चाहते थे कि पार्वती पहले मैच्योर हो जाए शारीरिक रूप से भी मेंटल

(09:32) रूप से भी तब जाकर इससे हम शादी करें नहीं तो ये वही गलती करेगी जो सती ने किया था सर एक चीज क्लियर है तपस्या बिना मैच्योरिटी नहीं आ सकती परिपक्वता कहते हैं इसको तपस्या का मतलब क्या ठेट हिंदी में समझो मेहनत जिस दिशा में हमारी मेहनत नहीं है ना उस दिशा में हमारी परिपक्वता नहीं आ सकती और जब तक परिपक्वता नहीं है सर सफलता मिल भी गई ना आप उसको संभाल नहीं पाओगे आके निकल जाएगी आपको पता ही नहीं चलेगा लाइव एग्जांपल आप अनिल अंबानी का ले लो सर मुकेश अंबानी अनिल अंबानी दोनों ही एक ही बाप के बेटे अ मुकेश अंबानी तो चल रहा है बढ़िया अनिल अंबानी पर मुसीबत आई

(10:05) वो बेचारा गायब है देख लो सर अडानी पर भी कुछ दिनों पहले मुसीबत आई थी और ऐसी भयंकर मुसीबत आई थी कि आपके पर तो आता तो पंखे में लटक जाते वो आदमी वापस बाउंस बैक कर लिया भारत की गौतम अडानी ने वो मुकाम हासिल कर लिया है जो आज से पहले किसी भारतीय ने नहीं किया था ना इंडस्ट्रियलिस्ट गौतम अदानी बिकम द सेकंड रिचेस्ट पर्सन इन द वर्ल्ड अकॉर्डिंग टू द फॉबस लिस्ट सबसे अलग सबसे हमसे मस्ती सीधा शेयर्स की प्राइसेस देखो उनके मार्केट वैल्यू देखो फिर वापस उठ गया वो खुद के दम प बनाया है ना पता है ना रगड़ा रगड़ा कैसी होती है पता है ना अप्स डाउन

(10:43) को झेलते कैसे हैं उसको तो थाली में परोस के मिला परिपक्व हुआ नहीं संभालने के लिए तैयार हुआ नहीं और हाथ में मिल गई सफलता जरा भी बुरा टाइम आया तो वो नहीं संभल पाएगा लोग कहते हैं एक बार हमको भी थोड़ा भगवान मेहरबान हो जाए कामयाबी मिल जाए फिर हम भी आग लगा देंगे सर कुछ आग नहीं लगाएगा उस आग में खुद ही जल के बर्बाद हो जाएगा एक्सीडेंटल सक्सेस कभी कामयाबी नहीं होती सर कभी नहीं कभी भी नहीं एक कच्चा बादाम वाला सिंगर आप लोग को याद है कच्चा बादाम कैसा वायरल हुआ बॉलीवुड में बुला लिए हैं इंटरव्यू पे इंटरव्यू चल रहा है यूट्यू

(11:11) बर्स पहुंच रहे हैं बॉलीवुड में बुलाया गया गाना बनाया जा रहा है आज के समय में कहां है और कुछ ही दिनों पहले की तो बात है आज के समय में कहां है सर एक बिहार से वो केबीसी में जीते थे ना 5 करोड़ 5 करोड़ लगता होगा ना हम सभी को 5 करोड़ एक बार हमको मिल जाए फिर तो जिंदगी बदल दें उसको भी मिला कहां जिंदगी बदला सर कहा जाता है किसी किताब में मैंने एक लाइन पढ़ी थी कि दुनिया में 5 पर लोगों के पास दुनिया का 95 प्र दौलत है और अगर उस 5 प्र लोगों का दौलत निकाल कर के 95 पर लोगों में बांट भी दिया जाना कुछ ही समय लगेगा वो 95 प्र लोगों से दौलत निकल कर के वापस फर 5 पर

(11:43) लोगों के पास पहुंच जाएगी यही दस्तूर है सर ऐसा होता ही है परिपक्वता मैच्योरिटी सीखा नहीं संभले का नहीं बच्चे की शादी करा दो कुछ ही टाइम में हो जाएगा डाइवोर्स अच्छा जो डाइवोर्स को किससे सुनते होंगे किन लोगों के बीच होता है सर मैच्योर नहीं है कई बार लड़का मैच्योर नहीं कई बार लड़की मैच्योर नहीं है डाइवोर्स हां वो मैच्योर है काहे को बोलेगा वो उसको पता है देखो मैच्योर हस्बैंड की निशानी है गलती चाहे हस्बैंड करे वाइफ करे सॉरी किसको बोलना है हस्बैंड को ये मैच्योर हस्बैंड की निशानी है देखो अगर जो आदमी घर में शेर और बाहर चूहा बन के रहता है ना

(12:14) उसको बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता सक्सेसफुल लाइफ का प्रिंसिपल है भैया लड़कों के लिए बता रहा हूं ये दुनिया में शेर बन के रहो लेकिन घर आते ही चूहे बन जाओ जो बोलो खुश रहने का प्रिंसिपल है ये मैं इतना यहां कितना भी चिल्ला लू कितना भी बोल लू घर जाके नहीं बोली निकलती थी मेरी इसीलिए मैं खुश हूं इसीलिए मैं एंजॉय कर रहा हूं इसीलिए मैं बढ़ रहा हूं घर जाकर के मैंने जहां सीना ताना सर आपके सामने मैं तान नहीं पाऊंगा फिर मेंटल स्थिति मेरी घबरा जाएगी मैं सोच नहीं पाऊंगा काम नहीं कर पाऊंगा हो सकता है पागल हो जाऊं अगला लेशन है सर ध्यान से सुनिए का अक्सर

(12:45) हम कहते हैं धोखे बाजों से बचो बेइज्जती से बचो ऐसा करेंगे तो हमारी बेइज्जती हो जाएगी लोग क्या कहेंगे कोई धोखा ना दे दे सर जिस आदमी की जिंदगी में धोखे से पल्ले नहीं पड़ा और बेइज्जती से पल्ले नहीं पड़ा वो आदमी [संगीत] धोखा और बेज्जती ये दोनों आपको मजबूत करने का काम करती है सर समझाता हूं कैसे मान लो आपने किसी को 000 दिए अच्छा 000 क्या कके दिए उसने क्या बोला था अगले महीने की 1 तारीख को हम वापस कर देंगे अगले महीने की 1 तारीख को भाई साहब कहीं दिख ही नहीं रहे हैं फोन उठ नहीं रहा है उनका 2 तारीख को किसी तरीके से उनका फोन उठता है आप याद

(13:17) दिलाते हो 000 लिया था पिछले महीने 1000 वापस कर दो बोला अरे यार भूल गए इस महीने तो खर्चा हो गया कोई बात नहीं अगला महीना आने दो अगला महीना निश्चित दे देंगे अगला महीना भी आ गया अगला महीना फिर आपने एक तारीख को रिमाइंड कराने के लिए फोन किया फोन तो उठ गया लेकिन वो कह रहे हैं अरे यार इस महीने तो बहुत सारा काम आ गया यार माफ कर दे यार एक महीना और दे दे भाई एक महीना और दे दे इस महीना पक्का कर दे आपने कहा चलो ठीक है भाई है अपना दोस्त है कर देते हैं एक महीना और तीसरा महीना आने को है और तीसरा महीना जब आपने फिर फोन लगाया

(13:41) फोन नहीं उठ रहा है पूरे दिन फोन नहीं उठा अगले दिन फिर आपने फोन लगाया अगले दिन फिर पूरे दिन फोन प फोन नहीं उठा अगले दिन आपने अननोन नंबर से फोन किया फोन उठ गया और जब आपने बोला भाई तीसरा महीना हो गया पैसा दे दे भाई 000 लिया था तू सामने से जवाब आता अरे यार तू कैसा दोस्त है तू तो पीछे ही पड़ गया यार ये कोई तरीका है पैसा मांगने का नंबर बदल के पैसा मांग रहा है और 3 महीने से तू हर रोज हर महीने 1 तारीख को फोन कर देता है भरोसा नहीं हम भागे जा रहे हैं यही दोस्त कहता है तू भरोसा ही नहीं मेरे पे आप चुप क्या बोले भाई उस 000 ने आपको

(14:12) क्या सिखाया मालूम जिंदगी में कभी हर आदमी आपसे 1000 तो मांगेगा नहीं कल को पैसा ड़ी कमाओगे थोड़ा बढ़िया बड़ा बनोगे तो कोई आपको हो सकता है ₹1 लाख मांगे और आप भली भाती हैसियत में हो कि आप 1 लाख उसको दे सकते हो कर्जा लेकिन आप दोगे क्या इतनी आसानी से अब आप एग्रीमेंट करोगे कि भाई ये एग्रीमेंट कर ले अगले महीने एक तारीख को देना नहीं दिया तो 2 पर लगेगा इंटरेस्ट अब आप इंटरेस्ट करके दोगे तो धोखा अच्छा था या बुरा था अच्छा यह बात आपके बाऊज भी हो सकता है आपको समझाते बेटा ऐसे किसी को पैसे नहीं दे देना लेकिन बाऊज की बात कौन

(14:40) मान रहा है बाऊज तो बेवकूफ उनको थोड़ी कुछ पता है नहीं ऐसे ही बेइज्जती हम जिंदगी भर बेज्जती से डरते हैं सर एक ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनी थी वो अपना एक कार खरीदा उस कंपनी के मालिक ने भाई साहब सीधा गया हमको सलाह देगा फेरारी बनाते हैं हमको सिखाओ ग निकल यहां से उसने भी अपनी एक कंपनी खोल दी स्पोर्ट्स कार और ऐसा कार बनाया इतना बेचा इतना बेचा आज के समय में नंबर वन स्पोर्ट्स कार वही है नी नाम है ट्रैक्टर

(15:44) बनाने वाली कंपनी थी वो टाटा की बेइज्जती गांधी की बेइज्जती अंबेडकर की बेइज्जती अंबेडकर की बेइज्जती ना हुई तो होती तो शायद आपको संविधान ऐसा ना मिलता गांधी की बेइज्जती ना हुई होती तो आज भी हम हो सकता है गुलाम होते टाटा की बेइज्जती ना होती तो हो सकता है देश का पहला फाइव स्टार होटल हमारे को ना मिलता जितने भी महान लोग हैं इनको किसी ना किसी ने उंगली करी सर और बहुत कड़ा वाला उंगली करा हिला दिया इनके जहन को हिला दिया जिसका नतीजा क्या हुआ कोई बड़ी चीज निकल करके आई और मिडिल क्लास बेचारा हमेशा बेइज्जती से डरता है हमेशा वो डायलॉग सुना

(16:20) होगा ना हमने पैसा ज्यादा भले ही नहीं कमाया लेकिन इज्जत बहुत कमाया कुछ नहीं कमाया वो उसको अगर किसी ने रास्ते रा चलते दो थप्पड़ नहीं मारा तो उसको समझ रहा इज्जत हमने बहुत कमाया अरे तुमने कुछ किया ही नहीं है भाई साहब इज्जत मालूम किसको कहते हैं इज्जत कहते हैं जब सड़क के बाहर निकल जाओ तो जो टकराए आपको प्रणाम भैया सलाम श्री कृष्ण गुंडे नहीं थे पांडव गुंडे नहीं थे लेकिन जब बाहर निकलते थे लोग इज्जत की नजरों से उनको देखते थे और दुआ सलाम करते थे आपको कितने लोग पूछते हैं ऐसा तो नहीं कि सड़क पर निकल गए नजर पड़ गए अरे ये मांग उधार ना मांगले डर लगा

(16:48) रहता है आपके आस पड़ोस लोगों को जब मिलेगा कुछ ना उधार मांग लेगा टीचर आदमी इज्जत अगला लेशन है सर ध्यान से सुनिए दुनिया की उत्पत्ति शिव से हुई है भगवान शिव शिव पुराण जब आप पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा शिवलिंग शिवलिंग से ही भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा की उत्पत्ति हु और भगवान शिव किस चीज की पहचान है उससे भी पहले शांत चेतना एकांत योग फोकस जितने भी शिव भक्त आप देखोगे मेडिटेशन वाले खिलाड़ी होते हैं वो वो बैठ गए दुनिया में कुछ भी चल रहा भूकंप आ रहा कौन भाग रहा कौन मर रहा अगर वो ध्यान में बैठे हैं तो ध्यान में बैठे कुछ नहीं दिखता भगवान शिव का

(17:22) मतलब ध्यान लोग कहते हैं अच्छा टाइम आ गया इसका इसीलिए पैसे कमा रहा है लगातार तरक्की कर रहा है इसका समय अच्छा चल रहा है ध्यान से समझिए सर मेरी बात को एक जब बिल्डिंग बन रही होती है ना ऊंची बिल्डिंग 20 फ्लोर 25 फ्लोर 30 फ्लोर की बिल्डिंग जितना बिल्डिंग का फ्लोर ऊपर बनाया जाता है उसी अनुपात में उसको नीचे लेकर जाया जाता है जानते होंगे क्यों क्योंकि ऊपर जितना ऊपर बन रहा है उसकी मजबूती उसके नीचे जाने से ही है अगर उस अनुपात में उसको नीचे नहीं लेके गया गया तो बिल्डिंग मजबूत नहीं होगी भगवान भी हमारे को वो नीचे लेके जाता है बुरे दिन दिखाता है और

(17:52) उस बुरे दिनों में जब हम लड़ते हैं अपने आप को बेहतर बनाने के लिए ना तो फिर एक समय ऐसा आता है एक काम करने के लिए हम एक महीना लगा रहे थे लेकिन नहीं हो रहा था फिर एक समय ऐसा आता है जब हम एक दिन लगाते हैं और वो काम बड़े अच्छे से हो जाता है तभी लोग कहते हैं कि अच्छा समय आ गया है हम अपने लिए भी सोचते हैं हां मेरा भी अच्छा समय चल रहा है इसलिए मेरे से काम हो जा रहा है सर एक मूवी आई थी चांदनी चौक टूट चाइना देखा अक्षय कुमार वाली मूवी उस मूवी में क्या था एक सीन था उसका जो गुरु था ना अक्षय कुमार का वो कुंफू सिखा रहा था उसको तो एक महीने तक उससे वो एक

(18:20) प्रैक्टिस करवाता है वो इधर कुछ रखवा करके बेलना टाइप उससे वो हिलवा रहता है एक महीने तक और बस एक महीने तक वही कर रहा है वही कर रहा है वही कर रहा है वो तो एक दिन परेशान हो करके अक्षय कुमार कहता ये तू मेरा गुरुरु नहीं है यहां मैं कुंफू सीखने आया था ये मुझे बेलना चलाना सिखा रहा है तू गरमा करके तो गुरु ने क्या किया उस पर कुर्सी उ उठा कर के फेंका और इसने बचाने के लिए हाथ ऐसे किया जैसे ही हाथ ऐसे किया पता चला कुर्सी टूट गया और इसको देख के लगा मेरे हाथ से कुर्सी टूट गया नतीजा था वो जो एक महीना बेलना की तरह हाथ चलाया है

(18:47) ना उसकी वजह से हाथ इतना मजबूत हो गया है कि कुर्सी तोड़ दिया उसने समझने वाली बात यहां पर यह है कि सर जब हम एक महीना लगा रहे थे काम नहीं हो रहा था और अब एक दिन में हो जाता है एक घंटे में हो जाता ता है समय का खेल नहीं है कि समय अच्छा आया है इसलिए काम बन जा रहा है दरअसल इतनी घिसाई करी ना तुमने बुरे टाइम में और अब इतने माहिर हो चुके हो कि जिस काम में हाथ डालते हो वो काम बन जाता है खेल बुरे दिनों का था खेल नीचे जाने का था बिल्डिंग की मजबूती नीचे जाने में है आप में से कितने लोगों को लगता है कि आज आपका बुरा समय चल ताहा है हा तो उठाएगा ति ईमानदारी

(19:19) से सबको लग रहा होगा नीचे कर लो आज के बाद अगर कोई मेरी तरह सवाल पूछ देना कितने लोगों को लग रहा है बुरा समय गलती से हाथ मत उठा देना और आप पहला लेसन भूल गए जहां से हमने सेशन शुरू किया था क्या था पहला लेसन विचार जब हम वायुमंडल को क्या दे रहे हैं कौन सी एनर्जी हमारा समय खराब चल रहा है मैंने क्या कहा था वायुमंडल सिर्फ और सिर्फ आपके विचारों को अंजाम तक पहुंचाने का काम करता है आपके विचारों को वो ब्रह्मांड में लेकर के जाता है और उस ब्रह्मांड से मिलती जुलती एनर्जी जो मिली उसको लेकर के आपके दिमाग तक लाकर छोड़ता है और दिमाग में घुसते ही वो विचार बन

(19:50) जाता है आप जैसे सोच रहे हो कि मेरा समय खराब चल रहा है टाइम खराब चल रहा है मेरे साथ सब कुछ बुरा ही हो रहा है तो ब्रह्मांड आपके साथ क्या करेगा और बुरा करेगा और बुरा सम समय देगा और बुरा होगा तो आप में से कितने लोग का बुरा समय चल रहा है सर 50000 ले लीजिएगा दो मिनट में देखो बढ़िया समय आ गया सदगुरु कहते हैं कि इस दुनिया की सिर्फ एक समस्या है सिर्फ एक समस्या है कॉन्शसनेस कॉन्शसनेस का मतलब अलर्टनेस आपने कभी नंदी की मूर्ति देखी होगी हमेशा शिवलिंग के सामने होती है या जहां शिवजी की मूर्ति होती है उसके ठीक सामने नंदी का मूर्ति होता है नंदी इतना

(20:20) तो पता ही होगा नंदी को अगर आप गौर से देखो अगर आपने शिव की कथाएं पढ़ी होंगी या सीवी सीरियल वगैरह देखा होगा नंदी शांत है शिव जी के सामने झुके हुए हैं लेकिन शिवजी को जैसे ही जरूरत होती है एक आवाज लगाते हैं नंदी नंदी एकदम अलर्ट होक के भाग के आते हैं सर वो नंदी शांत भी है अलर्ट भी है आज का आदमी शांत भी नहीं है अलर्ट भी नहीं है शांति है इ तोर कितने लोग हैं जो कि बेड प जाते ही 3 मिनट के अंदर नींद आ जाती है कोई नहीं मिलेगा मुझे पक्का पता है हैं कुछ तब उस मेडिटेशन वाले लोग हैं ध्यान वाले लोग हैं फिर जिसका ये शांत है

(20:51) ना वो बेड पे जाते ही सो जाएगा जिसका ये अशांत है ना तो बेड प जाते घंटों कभी इधर कभी उधर कभी उधर कभी पता चले कि किसी का ख्याल लगा पैसे बहुत कमा रहा है कुछ हो नहीं रहा है गाड़ी ले आया हम गाड़ी कब पता नहीं पता चले कोई मोहले में किसी की पड़ोसी की बीवी याद आ गई उसका चेहरा तेमा बहुत सुंदर है या भगवान हमारे साथ ऐसा कहे हमको ऐसा क नहीं चल रहा है सब अच्छा विचार साइंस कहता है कि एक दिन में आदमी का 60 लाख से ज्यादा उसको विचार होते हैं अब कोई कंट्रोल तो है नहीं कभी भगाया जा रहा है कभी इधर उधर उधर उधर उधर कहां से सो पाओगे

(21:22) नहीं सो पाओगे जिंदा है हम लेकिन जगे हुए नहीं है सर शांत तो हम बिल्कुल भी नहीं है आदमी आज टीवी देखते हुए खाना खाता है हैं और बच्चे भी टीवी देखते हुए खाना खाते हैं जब हम फोन पे बात करते हैं तो वॉक कर रहे होते हैं सर जो आदमी दो आदमी दो काम को एक साथ कर रहा है ना वो अपना ध्यान खराब करने का काम कर रहा है और कुछ नहीं आदमी ताकत ही ध्यान है सर अगर आप शिवजी से ढंग से सीखें शिवजी सबसे शक्तिशाली सबके ऊपर बैठे हुए हैं दुनिया में जब कोई काम किसी से नहीं बनता तो सारे देवता कहां पहुंचते हैं शिव जी के पास भैया कुछ नहीं हो रहा तब

(21:51) शिव जीी करेंगे और शिव जीी आपको एनी टाइम शिवजी की मूर्ति देखो सीरियल देखो पढ़ो शिवजी की मूर्ति हमेशा आपको आप विष्णु भगवान का का मूर्ति देखेंगे ऐसे किए हुए गणेश जी का मूर्ति आपको ऐसा बैठा हुआ मिलेगा हर भगवान की मूर्ति आपको कुछ ना कुछ करते हुए मिलेगा हनुमान जी की मूर्ति ऐसा उठाया हुआ मिलेगा शंकर जी की मूर्ति यानी कि शंकर जी का मैक्सिमम समय ध्यान में जाता है सर और यही आदमी को बैलेंस बनाता है और यही आदमी को मजबूत बनाता है कहते हैं शरीर चंचल और मन शांत वो आदमी ताकतवर है लेकिन आज के समय में शरीर शांत हो गया है मन चंचल है नहीं शरीर लोत है

(22:25) बैठ गए हैं ए शेप में बॉडी होती जा रही है आज के टाइम में ए शप समझते हो ना जो लोग जिम जाते हैं उनका वी शेप में होता है शरीर बैठ बैठ के लुथरा गया है और मन ऐसा आदमी भटके का नहीं परेशान नहीं रहेगा क्या होगा इसका आप देखते हो ना जिम में जिम का डाटा है जिम वाला मेरे को एक दिन बता रहा था सबसे ज्यादा एडमिशन जनवरी में होता है किसी भी जिम में दुनिया के किसी भी जिम में आप चले जाओ सबसे ज्यादा एडमिशन जनवरी में होते हैं और जनवरी में जनवरी का पहला हफ्ता जो होता है पूरे साल में जितनी भीड़ नहीं होती जनवरी के पहले हफ्ते में सबसे

(22:55) ज्यादा भीड़ होती है जिम में एक हफ्ते बाद वो खाली होता चला जाता है उनमें से ज्यादातर लोग वो होते हैं जो पहले दिन जाकर के वो इतना कर लेंगे इतना कर लेंगे कि अगले दिन हाथ ही नहीं उठता है मैच्योरिटी की हम बात कर रहे थे सर पहले दिन जाकर के अगर आपने 50 किलो का डंबल उठा लिया अगले दिन हाथ ऐसे ही मिलेगा ये सीधा नहीं होने वाला या तो अगर ऐसे है तो ऐसे ही मिलेगा ये मुड़े ग नहीं और जोश ज्यादा ताकत कम है कंधे से अलग होकर नीचे गिर जाएगा हो सकता है लेकिन जो खिलाड़ी लोग होते हैं वो क्या करते हैं पहले 5 किलो का 20 बार फिर 7 किलो फिर 75 किलो फिर 10

(23:25) किलो फिर 12 किलो छ महीने जिसने लगातार कर लिया वो 50 किलो भी बड़े आराम से मारने लग जाता है नहीं ऐसे ही होता है आप किसी भी बॉडीबिल्डर से पूछो आज वो अगर 50 किलो का डंबल उठा रहा है तो उसको छ सात महीने साल भर लगे हैं 50 किलो तक पहुंचने के लिए मसल मैच्योरिटी अभी हम थोड़ी देर पहले मैच्योरिटी की बात कर रहे थे पैसा अगर इ मैच्योर आदमी को मिला तो वो खराब करेगा नहीं परेशानी अगर इमेच्योर आदमी को मिला उस परेशानी में वो सुसाइड कर सकता है छात्र विद्यार्थी आईआईटी वाले आईएएस वाले क्यों सुसाइड करते हैं इमेच्योर है बेचारे उनको पता नहीं है जिंदगी में आईएस आईटी

(23:54) निकालना सब कुछ थोड़ी था अरे जिंदगी में जितने टॉपर आप देखते हो जिंदगी के टॉप टॉपर चाहे बिजनेस से किसी भी काम से वो अपनी पढ़ाई की वजह से टॉपर नहीं मिलेंगे आपको 90 पर 90 पर लोग दुनिया में वो पढ़ाई की वजह से जिंदगी में टॉपर नहीं है एक डाटा है आम तौर पर जो लोग स्कूल या कॉलेज में टॉपर होते हैं वो जिंदगी में फ्रस्ट्रेट मिलते हैं हां ये डाटा है भैया मैं नहीं कह रहा इस बात की समझ उसको नहीं है वो पढ़ाई के नंबर को ही सब कुछ मान रहा है और जब नंबर खराब आते है तो वो सुसाइड कर लेता है इमेच्योर है परिस्थिति खराब मिली सह नहीं पाया चाहे मेंटल लेवल पे फिजिकल लेवल

(24:29) पे पैसा ज्यादा आ गया पैसे की समझ नहीं थी कि कैसे कमाया जाता है कैसे इन्वेस्ट किया जाता है पैसे का कहां यूज किया जाता है वो आई ले आएगा वो वो गाड़ी खरीद लेगा वो घूमने फिरने चला जाएगा वो महंगा कपड़ा खरीद लेगा पूमा एडस से उसको नीचे बात ही नहीं करना समझ रहे हो सर अगला लेसन है सर ध्यान से सुनिए धैर्य और ताकत हम क्या सीख रहे हैं हम सफल होना नहीं सीख रहे हैं हम क्या सीख रहे हैं हम बेहतर होने के तरीके सीख रहे हैं बेहतर होने के बेहतर बनने के बेहतर बनते रहिए सर कामयाब तो एक दिन बन जाएंगे कामयाबी परिणाम है बेहतरी का हम

(24:57) कामयाबी के लिए पागल परेशान रहते हैं कब सक्सेसफुल होंगे लेकिन जो आदमी बेहतरी के लिए पागल है रोज कुछ ना कुछ अपने में बदलाव कर रहा है बेहतर कर रहा है पढ़ रहा है लिख रहा है मेहतर मेहनत कर रहा है एक ना एक दिन तो पहुंच ही जाना उसको धैर्य और ताकत ये देखिए लेसन का नाम क्या है धैर्य और [संगीत] ताकत मैंने सिर्फ धैर्य नहीं कहा मैंने कहा धैर्य और ताकत क्योंकि धैर्य बिना ताकत के आ भी नहीं सकती और किसी आदमी के पास अगर ताकत नहीं है वो धैर्यवान है तो सर वो धैर्यवान नहीं है वो कमजोर है समझाता हूं एग्जांपल देके ध्यान से समझिए अच्छा आप लोग को ये पता है कि तंत्र

(25:33) विद्या एं तंत्र विद्या एजिस्ट करती है आप मानो या ना मानो और ये तंत्र विद्या भगवान शिव का दिया हुआ है आप जितने देखेंगे अघोरी या जो लोग बहुत एक्सट्रीम पावरफुल लोग होते हैं जिनको दुनिया से मतलब नहीं है फटे पुराने कपड़े कुछ नहीं कैसे भी रह रहे हैं बाल जटा उटा बनाए हुए हैं वो सब आपको भगवान शिव के भक्त मिलेंगे तंत्र विद्या के पुरानी पुजारी मानने वाले इस्तेमाल करने वाले भग सब आपको भगवान शिव के भक्त मिलेंगे या तो भगवान शिव या मां काली के भक्त मिलेंगे मा काली कौन काली काल ई काल कौन भगवान शिव भगवान शिव का स्त्री रूप काली तो काली भी किसकी रूप है

(26:05) भगवान शिव की तो जितने भी तंत्र विद्या के खिलाड़ी आपको मिलेंगे ये तो काली के भक्त भगवान शिव के भक्त हुआ क्या जब तंत्र विद्या को दुनिया में लाना था तो भगवान शिव ने कहा पार्वती को कि मैं तंत्र विद्या भगवान दुनिया को देना चाहता हूं क्योंकि इससे समाज की भलाई बहुत हो सकती है लेकिन इससे समाज का बुरा भी हो सकता है अगर गलत लोगों के हाथ में ये पड़ा तो वो बर्बाद करेंगे अगर अच्छे लोगों के हाथ में पड़ा तो वो समाज के हित के लिए काम करेंगे तो उन्होंने पार्वती को बोला जब शादी हो चुकी थी पार्वती की तब तो मां पार्वती बोली ठीक है हमको दीजिए तो शिवजी बोले

(26:33) लेकिन तंत्र विद्या इतना आसान नहीं है इसको लेने के लिए बहुत मेहनत और बहुत कड़ी तपस्या लगेगी कई-कई दिनों कई-कई महीनों तक सोना नहीं पड़ेगा मतलब बैठ गए हैं तो बैठ गए हैं बोलो इतना कर लोगी बोले हां प्रभु कर लेंगे आप कराइए तो बिल्कुल कर लेंगे तो शिव जी बोले कि जब तक हम तुमको तंत्र विद्या सिखाएंगे तब तक हम तुम्हारे पति नहीं रहेंगे भूल जाना हम तुम्हारे गुरु बनके तुमको सिखाएंगे इस ज्ञान की प्राप्ति हेतु तुम्हें मुझे अपने गुरु के रूप में स्वीकार करना होगा काहे बोले अपना सेफ्टी के लिए पति डांट थोड़ी सकता है गुरु डांट सकता है तो

(27:05) सेफ्टी ले लिए अपना शिव जीी बोले गुरु मानती हो बोले हां मानते हैं तो शुरू किए यज्ञ यज्ञ चल रहा है पार्वती जी उधर बैठी है शंकर जी इधर बैठे हैं अपना दिखा रहे हैं सीखते सीखते कई दिन महीने बीत गए बैठे बैठे बैठे अब मां पार्वती का शरीर उतना है नहीं कि भाई इतने लंबे समय तक बैठ सके उनको नींद आने लग गई सुनते सुनते सुते सुते सुते सो चुकी है बैठे बैठे शिव जी की नजर पड़ी है सो चुकी शिवजी मा ग ल फॉर्म में आ गए उठी ब क्या कर गलती गलती प्रभु अब ऐसे नहीं करेंगे गलती गलती एक बार और कराइए अब कृपया इस ज्ञान को पुनः आरंभ कीजिए बोले

(27:38) पक्का बोले हां कराने लग गए फिर से फिर थोड़ी देर बाद फिर नजर पड़ी इस बार एकदम शिवजी का गुस्सा मालूम है कैसा सृष्टि के सबसे शांत व्यक्ति अगर शिव है तो सृष्टि के सबसे गुस्सैल व्यक्ति भी शिव है सृष्टि में आपको जो भी मिलेगा सृष्टि के सबसे खूबसूरत अगर कोई है तो वो शिव है लेकिन सृष्टि के सबसे भयंकर अगर कोई है वो भी शिव है सृष्टि अगर अगर सृष्टि के किसी को भी बचा सकते हैं तो वो शिव हैं लेकिन किसी को भी बर्बाद करने वाले भी शिव है नहीं महाकाल काल नहीं है वो कालों के भी स्वामी महाकाल तो गरमा गए पार्वती जी भी बोले तुम्हारे बस का नहीं है गुस्से में बोले

(28:11) कि भाई इसके लिए बहुत धैर्य चाहिए और धैर्य अगर सीखना है तो एक काम करो जाकर तुम पुनर्जन्म लो एक नया जन्म लो कहां जन्म लो मछुआरों की बेटी बनो और तब जाकर जब उनके साथ रहोगे कि मछली पकड़ने में कितना धैर्य लगता है तब तुम वापस मेरे पास आना तब तुमको सिखाएंगे गुस्से में शिव जी बोल दिया बोल के चल दिया जाओ पुन बचवा के साथ जन्म और उनसे सीखो की क्या होती है एकाग्रता तंत्र ज्ञान का अपमान करने का यही पश्चाताप है पार्वती जी इमोशनल बोले ठीक है शिव जी बोले तो करेंगे हम बाद में अच्छा शिवजी उतने ही इमोशनल भी है नंदी जाक समझा रहे हैं शिव जी को

(28:45) प्रभुने क्या बोल दिया पार्वती जी दोबारा जाकर जन्म लेंगे एक तो बड़ी मुश्किल से शादी हुआ इतना अब कैसे नंदी को बोले जितना दुख तुमको हो रहा है जितना दुख पार्वती को हो रहा है उससे ज्यादा दुख हमको हो रहा है भाई मुझे भी उतनी ही व्यथा और वेदना होती है जितनी संभव ता तुम्हें लेकिन क्या करें जरूरी है सृष्टि को देना है यह विद्या और पार्वती के जरिए ही जा सकता है ये तो पार्वती जी दोबारा अपना शरीर त्याग करके वापस मतस्य की बेटी बनके मतलब मछुआरों की बेटी बनके फिर से जन्म लेती है अच्छा जब जन्म लेती है बचपन से उनको मछली पकड़ने की

(29:15) ट्रेनिंग दी जाती है मस्या जाल पर अच्छी पकड़ बनाए रखना मछलियों की कुछ ऐसी प्रजाति भी है जो नौका को भी चपा सकती है आप निश्चिंत रहिए पिताजी मैं उस मछली को अवसर ही नहीं दूंगी आपको अगर धैर्य की दिक्कत हो ना तो यह लेसन आप भी अपना सकते हो कभी मछुआरों के साथ जाकर के कुछ दिन रहिए जो एकदम ट्रू वाले मछुआरे होते हैं देखो कितने समय तक जाल फेंक करके वो इंतजार में रहते हैं कि कब मछली आएगी तब तक उनका ध्यान नहीं भटकता हम कहते हैं अरे तीन दिन से हम लगे पड़े हैं कुछ काम ही नहीं बन रहा तरक्की नहीं हो रहा कुछ हो ही नहीं रहा छोड़ हटा दूसरा

(29:48) काम पकड़ लेते हैं हैं वो नहीं छोड़ते पूरे दिन अगर नहीं मच्छी मिली अगले दिन अगले दिन तीसरे दिन वो तब तक इंतजार में रहते हैं ताक में रहते हैं जब तक मछली ना आए तो पार्वती ने पूरी जिंदगी मछली प पकड़ने की प्रैक्टिस करी धैर्य का लेवल उनका तब जाके वापस दोबारा शिवजी से शादी होती है और तब जाके तंत्र विद्या पार्वती जी को सिखाते [प्रशंसा] हैं धैर्य जिसको हम बहुत लाइटली लेते हैं ना अरे धैर्य क्या ठीक है अ अक्षर का तो धैर्य क्या धीरज क्या कहते पेशेंस रखो है पेशेंस रख लेंगे बहुत पेशेंस है हमें नहीं है सर नहीं है जिसमें है वो बादशाह है

(30:35) जिसमें है वो राजा है नौकरों में पेशेंस नहीं है चार बात सुना दो है तुमको बर्तन धोने नहीं आता है झूठा छोड़ दि छोड़ दो हम काम से कम काम नहीं करेंगे हम जा रहे हैं कहीं और उस वक्त अगर सच्चा मालिक है तो वो ऐसे रिएक्ट ही नहीं करेगा कोई बात नहीं छूट गया ना ऐसे कर लो ऐसे ठीक जितने मैच्योर आदमी आपको मिलेंगे ना सब शांत मिलेंगे आपको और जितने गधे बकलोल आदमी मिलेगा वो तम तमाया हुआ मिलेगा बड़ा आदमी शांत होता है बड़ा आदमी का बड़ा पैसे से बड़ा नहीं है विचारों से जिसको देख करके जिससे बात करके आपको कुछ फील आ जा रहा है यार ये आदमी इससे मिल कर के अलग ही फील होता है

(31:11) ऐसा वाला राम जी का धैर्य देखो पत्नी छोड़ के चली गई छोड़ के चली गई कहने का मतलब रावण जब लेकर गया था सर आम आदमी की पत्नी को अगर कोई उठा ले ना एक हफ्ता इंतजार करेगा वो उसके बाद देखो दूसरी ये तो गई है वापस नहीं आएगी कहां ढूंढे कौन लेके गया क्या पता कौन लेके गया दूसरी कर लाओ ऐसे थोड़ी रहेंगे जिंदगी पड़ा है पूरा सर कई महीने उनको तो सिर्फ यह पता करने में लग गए कि किस दिशा में लेकर गया है सीता को और कौन लेके गया है और एक साल लगा उनको 13वें साल में थे वो 14 साल का वनवास था ना 13वें साल में सीता जी का हरण हुआ था और पूरे एक साल लग गए लंका युद्ध खत्म

(31:48) करते करते कहते हैं जिस दिन लंका युद्ध खत्म हुआ था ना जब रावण को मारे थे तो 14 साल पूरे होने में सिर्फ दो दिन बचा था तो राम जी चिंता में थे कि अब तो दो ही दिन बचा है भैया हमको वापस भी जाना है क्योंकि उधर भरत ने कसम खा रखा था कि भैया 14 साल पूरा होते हुए भी अगर एक दिन भी आपने लेट किया तो हम सुसाइड कर लेंगे परंतु एक बात याद रखना भैया 14 वर्ष के बाद यदि आपने आने में एक दिन की भी देरी की तो इन चरणों की कसम खाकर कहता हूं आप अपने भरत की चिता जल्दी देखेंगे एक दिन भी ले कसम खाके बैठा है राम टेंशन मेरे दो दिन बचा है अब अब कैसे

(32:23) पहुंचेंगे हम दो दिन में 14 वर्ष की अवधि पूर्ण होने में मा दो दिन शेष है हमने भरत को वचन दिया था कि वनवास काल की अवधि पूरी होते ही अयोध्या लौट आएंगे और भरत ने शपथ ली थी यदि एक दिन की भी देर हुई तो व जलती चिता में कूद जाएगा तब जाक विशन आईडिया दिया पुष्पक विमान है ना मन की गति से चलता है आइए बैठिए हमारा पुष्पक विमान किस दिन काम आएगा प्रभु यह वही विमान है जो महाराज रावण कुबेर से छीन कर लाए सर एक साल का धैर्य पत्नी को वापस लाने के लिए 14 साल का धैर्य बाऊ जी के वचन को पूरा करने के लिए 14 साल सुग्रीव को जब जिताए थे ना

(33:06) बाली से जब राजपाट दिलाए थे सुग्रीव को तो जब दिलाए थे तो उस वक्त बरसा ऋतु आ गई थी अच्छा जब बरसा ऋतु आ गई है तो समुंदर में पुल बना नहीं सकते तो प्लानिंग ये थी अब समुंदर लगेंगे कैसे भैया ब बारिश का मौसम आ गया है तो सुग्रीव को बोले एक काम करो बर्ष रही तो तीन महीने का है तीन महीना अपना राजपाट आप संभालो थोड़ा जा कर के रेस्ट करो हमको तो यहीं जंगले में रहना है तीन महीने का फिर से पेशेंस सोच के देखो पत्नी ज चली गई है पता नहीं दुश्मन क्या कर रहा होगा वहां पत्नी के साथ कैसा बिहेव कर रहा होगा पत्नी कितनी कष्ट में होगी कुछ पता नहीं है तीन महीने का फिर से

(33:36) पेशेंस सुग्रीव को दिए जाके एंजॉय करो भैया बरसा र तो कुछ नहीं कर सकते सुग्रीव जाकर के उधर शराब सवाब ए लिप लक्ष्मण आए हड़का आए तुमको बोले थे तीन महीने बाद वापस होने के लिए तुम क्या ये सब कर रहे हो तो सुबरी बोले भैया माफ कर दो अब नहीं करेंगे चलो वापस तीन महीने का फिर से पेशेंस जब समंदर लांगर की बारी आई तो समंदर के आगे फिर तीन दिन का पेशेंस वो राम है प्रभु है विष्णु के रूप है चाहे तो समंदर को ऑर्डर दे सकते हैं खाली कर यहां से जाना है हमको बिनती कर रहे हैं रास्ता दे दो एक दिन बीत गया कुछ नहीं कोई रिस्पांस नहीं अगला दिन बिनती दे दो दे दो

(34:11) रास्ता दे दो पूरा दिन बीत गया कोई रिस्पांस नहीं समंदर तीसरा दिन खत्म ही होने वाला था तब जाके धैर्य टूटा ये लग रहा है अब नहीं मानेगा निकाल खत्म कर देते हैं आज तब जाकर समंदर आता है प्रभु गलती फिर तीन दिन का पेशेंस आज तो पाच मिनट का पेशेंस नहीं है भाई भाई को कुछ बोल दे 5 मिनट में सर कट्टा उटा सब निकल जाता है रिश्तों की अहमियत क्या है वैल्यू क्या है आज के टाइम में कोई वैल्यू नहीं है जमीन की वैल्यू है रिश्तों की नहीं पैसों की वैल्यू है रिश्तों की नहीं दो भाई जब छोटे होते हैं ना तो बचपन में एक दूसरे के लिए जान देते

(34:48) हैं स्कूल में कोई किसी को चार लप्पल अगर मार दे ना छोट के भाई को तो बड़का भाई दौड़ करके आता है दोनों मिलकर खूब लड़ करके धोता है उसको लेकिन जैसे जैसे बड़ा होता चला जाता है जब कोई बाहर का आदमी धोता है ना छोटे भाई को बड़ा वाला खुश होता है अच्छा है मर जाए जमीन नहीं देना पड़ेगा पैस सब हमरा हो जाएगा क बदलता नहीं चला जाता ऐसा कृष्ण का धैर्य देखो भैया हम तो मामूली आदमी लेकिन हमारे को बोल दे कोई कि तुम्हारा कैरेक्टर ठीक नहीं है जहां जिस लड़की को देखते गड़बड़ होते हो दूसरे का पैसा देख कर के मुंह डोल जाता है तुमको कुछ आता नहीं हो निकम्मा हो भगौड़ा हो

(35:24) हमको अगर कोई बोलता तो हम गरमा जाते हैं रमाते हैं ना तो भगवान क्या नहीं बोला कह रहा है द्रौपदी को तुम सखी बोलते हो ना सब पता है हमको द्रौपदी के साथ तुम्हारा क्या चक्कर हैवान सखा सखी सखा सखी की संबंध की आड़ में क्या रासलीला रचा रहा है तू ये मैं भली बात नहीं जानता हूं कह रहा है तुम वसुदेव बोलते अपने आप को विष्णु का रूप हो घंटा कोई रूप नहीं तुम भगोड़े हो जरास के डर से भाग गए थे तुम अब सारे मथुरा वासी को को लेके भागे जाके द्वारका बसाए भगोड़े कहीं के और कहता भगवान का रूप है तुम कूटनीति करते हो क्या नहीं भला 100 गाली 100

(36:06) बेज्जती हमारी औकात नहीं हम दो भी सुनले 100 सुने 100 के बाद ही तो सुदर्शन निकाले गर्दा बोले अब बहुत हो गया भाई शिशुपाल अब नहीं वचन दिए थे तुम्हारी मैया को कि 100 तक माफ करेंगे अब तो धैर्य और ताकत मैंने बोला इसीलिए क्यों ताकत थी उड़ाने की लेकिन फिर भी धैर्य था ताकत थी समंदर को तबाह करने की फिर भी न दिन का धैर्य था ताकत थी हनुमान को यूं बुला कर के उधर लंका जाकर के खेल खत्म करने का फिर भी साल भर तैयारी की है ताकत थी कि बाऊज का वचन ना मान के अच्छा बाऊज ने खुद बोला था उनको जब जाने की बारी आई बाऊ जी बोले राम भाई हम तुमको भेज नहीं सकते यार बाऊ जी रो रहे

(36:46) हैं बहुत अथान करते थे राम जी से रो रहे हैं हम नहीं भेज सकते एक काम करो तुम हमको जेल में डाल दो भाई तुम हमको जैसे ही जेल में डालोगे सेना तो तुम्हारे पास है ही तुम राजा बन जाओगे और हमको जेल में डाल देना इससे होगा क्या मेरा वचन भी नहीं टूटेगा कई-कई को क्या वचन दिया था कि हम तुमको भेजेंगे वनवास अब कई-कई को हम बोल देंगे हम राजा देखो रहे नहीं हमको जेल में डाल दिया तो हम क्या कर सकते तो मेरा वचन भी रह गया और तुमको जंगल नहीं जाना पड़ेगा ये बाऊज खुद आईडिया दे रहे हैं मतलब वो क्या बाप अपने को जेल में डलवाने को तैयार है लेकिन बेटा जंगल ना जाए सर ताकत थी वो

(37:18) मना कर सकते थे नहीं हम नहीं जाएंगे ठीक है जेल में भेजना बते है फिर भी गए धैर्य ताकत के साथ ही आता है कमजोर आदमी अगर गाली सुन रहा है मार खा रहा है उसकी तारीफ नहीं होती सर किसी की दुनिया कोई उजाड़ सकता है इतनी ताकत है कि आपका घर बर्बाद कर दे फचर भी है एे 47 भी है पीछे मंत्री मनिस्टर सबका सपोर्ट है लेकिन फिर भी जब मिले तो आपसे हाथ जोड़ के बात करें सर वो ताकतवर है ना और ऐसा आदमी धैर्य जब दिखाता है तो वो धैर्य है लेकिन जिसके पास ताकत ही नहीं है वो चार गाली भी सुन रहा है और बोले हम धैर्य धैर्य नहीं तुम कमजोर हो बेटा रे पास ताकत उखाड़ क्या लोगे चार

(37:59) क्या 400 सुनना पड़ेगा तुमको रहोगे औकात त तुम्हारी है इसीलिए कहा धैर्य और ताकत अगला लेशन है सर ध्यान से सुनिए स्मरण और अनुसरण दो वर्ड है स्मरण का मतलब याद रखना अनुसरण का मतलब फॉलो करना आज हम राम की बातें करते हैं कृष्ण की बातें करते हैं शिव की बातें करते हैं यानी कि हमारे को स्मरण है याद है कि वो क्या कहते हैं लेकिन क्या अनुसरण करते हैं कृष्ण ने बोला धर्म भगवान गीता ने बोला है धर्म की राह पर चलो और घर आके जय श्री राम टीशर्ट प लिखा रहता है इधर बाइक पे नंबर प्लेट पे फर में पीछे वो हनुमान जी का आधा मुंह का स्टीकर आजक चल रहा है नहीं यानी कि हमको

(38:33) याद है स्मरण है कि हनुमान जी कौन है स्मरण है कि राम कौन है स्मरण है कि गीता में क्या कहा लेकिन क्या अनुसरण है क्या हम फॉलो भी करते हैं क्या एक कहानी सुनाता हूं राम जी की जानते हो राम जी कौन है ध्यान से सुनिए इस कहानी ने जब मैं पहली बार सुन रहा था ना तो मैं टेंशन में आ गया था इस कहानी को सुन कर के आप टेंशन में मत आना बड़ा फेमस है वृंदावन में आप जाओगे ना तो वहां पे उनके एक जज सा साहब की कहानी बड़ी फेमस है कहानी क्या जज साहब वहीं रहा करते थे एक वृंदावन में पता है किसी को नहीं पता बताता हूं वो जज साहब की क्या कहानी है रियल कहानी है ये और कुछ

(39:04) सालों पहले की कहानी कुछ सालों पहले उनकी डेथ हुई है रियल कहानी है सुनिए क्या कहानी है साउथ के एरिया के जज साहब थे साउथ के किसी शहर में एक जज हुआ करते थे तो उन जज जज साहब के पास एक केस आया उनके कोर्ट में केस क्या था एक गांव में एक केवट रहा करता था और केवट बड़ा गरीब था लेकिन पक्का राम भक्त था उसका घर बार कुछ नहीं था इतना गरीब राम मंदिर में ही रहता था बस वो मंदिर में ही सोना उठना सब कुछ उसका वहीं होता था उसने जमींदार से पैसा ले रखा था कुछ अच्छा जमींदार को उसने वापस भी कर दिया लेकिन जमींदार इतना पैसे का लालची केस कर दिया उसपे कि ये पैसा

(39:34) नहीं दे रहा है मेरा जबकि केवट ने पैसे भी दे दिए थे अब केस पहुंचा कोर्ट में तो कोर्ट में बुलाया गया केवट को जज साहब ने पूछा केवट से कि भाई क्या हिसाब किताब है पैसा कहा नहीं दे रहे हो केवट बोला माय बाप हम तो पैसा दे दिए हैं जमींदार सब इल्जाम लगा रहे हैं हम तो पैसा दे चुके हैं तो जज साहब कह रहे हैं कि जब पैसा दिए थे तो तुम्हारे अलावा कोई था वहां पर देखने वाला बोले हां तीन लोग थे हम थे जमींदार साहब थे और हमारे र रघुनाथ जी थे तो जज साहब को लगा रघुनाथ जी कोई आदमी होगा तुरंत लेटर इशू कर दिया से समवन कि रघुनाथ जी को अगली बार बुलाया जाए तो

(40:04) संत्री लेटर लेकर के गांव में पहुंचा पता चले कोई भी रघुनाथ जी नाम का आदमी नहीं यहां पर पहुंचते पहुंचते गांव के लास्ट में मंदिर था मंदिर पूजाही मिला भैया रघुनाथ जी यहीं रहते हैं तो मंत्री पुजारी बोलता है रघुनाथ जी यहीं रहते हैं तो उसको लगा रघुनाथ जी मंत्री के बारे में पूछ रहा है बोला हां रघुनाथ जी यहीं रहते हैं तुरंत संत्री ने लेटर समान निकाल के पकड़ पकड़वा दिया भै बोल देना कोर्ट में हाजरी है पुजारी सोच में सोच पाए कुछ ये क्या बोल गया तब तक तो लेटर देकर के साइकिल प निकल गया तो उसको समझ में आ गया अच्छा अच्छा केवट का केस चल रहा है उसी चक्कर

(40:34) में केवट ने बोला होगा कि रघुनाथ जी थे तो लेटर ले जाकर के वो रघुनाथ जी के मंदिर में रघुनाथ जी कौन राम जी के मंदिर में नीचे जाकर के पैर में रख देता है कि प्रभु आपका भक्त मुसीबत में है उस केवट ने जरूर आपका नाम ले लिया होगा और आज मुसीबत में है आपके लिए अब तक तो मिठाई आया लोगों ने कपड़े लते भिजवाए श्रृंगार की चीजें भिजवाई आज पहली बार कोर्ट का बुलावा आया है आपके लिए तो अब देख लीजिएगा प्रभु भक्त है आपका बड़ी उम्मीदों से नाम लिया होगा उसका बड़ा भरोसा करता है आपको देख लीजिएगा कहीं उसका भरोसा ना टूट पाए विनती कर लिया

(41:05) पुजारी ने अच्छा जिस दिन डेट आया कोर्ट का पुजारी जो है राम जी को बढ़िया से सजा होजा दिया मूर्ति को कि आज हमारे रघुनाथ जी कोर्ट जाने वाले थे बढ़िया कपड़ा में जाएंगे और रघुनाथ जी पहुंच गए कोर्ट में फटा पुराना कपड़ा बुढ़ऊ का वेश धारण करके बदबूदार कपड़ा एकदम बाल ऐसे जटा लग कोर्ट देख रघुनाथ ए चलो कटग खड़े हो गवाही लिया गया और ऐसा गवाही दिए ऐसा गवाही दिए ऐ ऐ सा गवाही दिए कि कोर्ट एक ही दिन में केस खत्म जमींदार को सजा हो गया लेकिन कोर्ट जब खत्म होते होते फैसला सुनाते सुनाते जज साहब का दिमाग हिल गया था ये हो क्या रहा

(41:36) है कैसा आ गया कौन आदमी था जो ऐसा गवाही दिया जो एक ही दिन में कोर्ट खत्म हो गया केस खत्म हो गया तुरंत भाग करके केस खत्म करके अपने कबि में गया जज और जज कैबिनेट में जाकर के केवट को बुलाता है केवट इधर आओ बैठो जरा बोला ये कौन थे जो आए थे बोले तो रघुनाथ जी थे तो उससे पूछे तुम रहते कहां हो बोले हम तो मंदिर में रहते हैं रघुनाथ जी के तो जज को ये लगा अच्छा ये रघुनाथ जी मंदिर बनवाए थे उसको को ये लगा तो कह रहा है ये तो बड़ा गरीब लग रहे थे ये कैसे मंदिर बनवाए थे केवट कहता है ये मंदिर बनवाने वाले रघुनाथ जी नहीं थे ये मंदिर में वास करने वाले रघुनाथ जी थे जज

(42:05) का दिमाग खराब हो गया संतरी को तुरंत बुलाया उससे पूछा सच सच बताओ तुम चिट्ठी किसको देकर के आए हो संतरी एकदम घबराए हुए बभु माय बाप रघुनाथ जी नाम का कोई आदमी उस गांव में मिला ही नहीं तो हम क्या करते अब देना था तो हम पुजारी के हाथ में दे दिए रघुनाथ जी के मंदिर के पुजारी में जज को सब बात समझ में आ गया अच्छे से घर जाकर के दरवाजा बंद करके जोर-जोर से रोने लग गया पत्नी आई उधर से बच्चे आए क्या हो गया क ऐसे रो रहे हैं बताया सारा घटना क्या-क्या हुआ है आज तो पत्नी बोले अरे ये तो अच्छी बात है रघुनाथ जी के दर्शन हो गए आपको कहे इतना टेंशन में चले

(42:36) गए वो बोले मैं इसलिए टेंशन में नहीं हूं इसलिए नहीं रो रहा हूं वो चले गए बोले जिस रघुनाथ जी के दरबार में पूरी दुनिया खड़ी रहती है हम उनको अपने दरबार में खड़ा रखे और हम बैठे थे उसी दिन अपना घर बार सब छोड़ कर के वृंदावन चले गए और कहते हैं कि जब तक जिंदा रहे वो बैठे ही नहीं लोग पूछते थे कहां नहीं बैठते भैया जज साहब तो कहते हैं ये हमारी सजा है हमने रघुनाथ जी को अपने दरबार में खड़ा रखा ये हमारी सजा है हम जब तक जिंदा रहेंगे बैठ यह है राम जी भक्त के बुलाने पर कोर्ट भी चले [संगीत] [प्रशंसा] जाते एक बार एक बार वशिष्ठ से पूछा गया

(43:13) वशिष्ठ कौन जिन्होंने राम जी को शिक्षा दी थी उनके गुरु वशिष्ठ से पूछा गया कि उनके किसी चेले ने पूछा अब ऋषि लोग तो जानते ही थे राम जी भगवान विष्णु के रूप है तो उनसे पूछा प्रभु एक बात बताइए ये तो खुद हमारे विष्णु जी हैं ये चाहते तो वैकुंठ धाम में रहते हुए सारी प्रॉब्लम सॉल्व कर देते यहां की कि खुद मानव रूप में क्यों धरती पर आए हैं क्यों धरती की प्रॉब्लम्स को झेले गे यहां धरती का सुख दुख वो सब करेंगे वही रह के ठीक कर देते हैं ना सब इतना शक्ति तो है इनमें तो वशिष्ठ क्या कहते हैं ध्यान में सुनिए ध्यान से वशिष्ठ कहते हैं कि भगवान वहां से सब ठीक तो कर

(43:43) सकते थे लेकिन आज इंसान का पतन शुरू हो चुका है और इस इंसान के पतन को रोकने के लिए जरूरी है कि भगवान खुद उन लोगों को संदेश देना चाहते हैं एक भाई कैसा होना चाहिए एक बेटा कैसा होना चाहिए एक प प कैसा होना चाहिए यहां तक कि दुश्मन कैसा होना चाहिए और एक दोस्त कैसा होना चाहिए इन सब का एग्जांपल लोगों को देने के लिए भगवान खुद धरती पर इंसान बन के आए तो ये राम जी एक बार राम जी जब जवान हो गए थे तो दशरथ ने डिसाइड किया कि अब अश्वमेघ यज्ञ कराया जाए अश्वमेघ यज्ञ क्या होता था जब कोई राजा बहुत बलिष्ठ होता था उसका राज्य एकदम तवड़ तोड़ चल रहा है तो अश्वमेघ यज्ञ

(44:21) कराया जाता था अश्वमेघ यज्ञ का पर्पस ये होता था कि आसपास जितने राज्य हैं उन सब को हम साबित कर पाए कि भाई तुम सब छोटे हो और हम सबसे ज्यादा ताकतवर हैं हमारा राज्य यह साबित करना पर्पस होता था अश्वमेघ यज्ञ और इससे देवता बहुत खुश होते थे देव कहते हैं देवता बहुत खुश होकर के आपको आशीर्वाद देते थे पूरे राज्य को हर आदमी को आशीर्वाद मिलता था सद्बुद्धि मिलती थी इस यज्ञ के बाद इस यज्ञ में लेकिन एक समस्या थी समस्या ये थी कि अश्व मेघ यज्ञ जैसा इसका नाम है एक ऐसा अश्व चुना जाएगा घोड़ा चुना जाएगा जो कि उस राज की तरफ से दौड़ेगा कहां तक दौड़ेगा वो उस उस जगह तक

(44:55) को कवर करते हु हु दौड़ेगा जो जो राज्य जो जो जगह है उस राज्य के अधीन है यानी कि वो घोड़ा जिस जगह से गुजर गया और लोगों ने उसको जाने दिया इसका मतलब लोगों ने अपनी एक्सेप्टेंस दे दी कि हां इस राजा के हम अधीन हैं इस राजा से हम छोटे हैं चाहे जिस भी राज्य से वो गुजरा अच्छा वो ड्यूरेशन कितना होता था घोड़े घोड़े को दौड़ने का सालों तक घोड़ा दौड़ता रहता था बिना रुके बिना खाए पिए बिना रेस्ट लिए और जब एक साल डेढ़ साल दो साल घोड़ा लगातार दौड़ने के बाद वापस अपने राज्य लौटता था ना तो उस घोड़े की बली दी जाती थी उसी घोड़े की जब राम जी को यह पता चला

(45:28) कि इस घोड़े के साथ यह हसल होने वाला है टेंशन में आ गए वो बोले तो रीति गलत है ऐसा नहीं होना चाहिए वो घोड़ा हमारे राज्य के लिए दौड़ रहा है बिना रुके बिना सोए बिना खाए पिए सालों दो दौड़ रहा है और उसके साथ हम ऐसा करेंगे उसका बलि दे देंगे तो गाइ सबसे पहले गुरु के साथ देखो गुरु की बॉन्डिंग गुरु से बॉन्डिंग कैसा होना चाहिए शिष्य के अपनी प्रॉब्लम को मम्मी पापा के पास लेकर के नहीं गए सबसे पहले गुरु के पास गए डिस्कस करने के लिए वशिष्ठ के पास तो वशिष्ठ ने बोला भैया तुम्हारा कंसर्न तो बिल्कुल जेनुइन है ऐसा नहीं होना चाहिए लेकिन क्या करोगे रीति चली आ

(45:56) रही है है सालों से और समाज की रीति हों के अगेंस्ट अगर आवाज उड़ाओ उठाओगे तो भैया ताने सुनने के लिए रेडी रहो लोग तो तुम्हारा ही विरोध करेंगे फिर अगर उसके लिए तैयार हो तो यह बात अपना रखना प्रजा के सामने राम जी बोले ठीक है फिर मां के पास गए मां को समझाए अब मां तो वैसे ही सॉफ्ट हर्ट होती है तो मां ने बताया तुम्हारा बात तो हमको समझ में आ गया बेटा लेकिन तुम्हारे बाऊ जी नहीं मानेंगे और प्रजा नहीं मानेगी इतने सारे ऋषि मुनि सब बातें यज्ञ मज्ञ में वो सब कोई भी नहीं मानेगा अब देखो कैसे करोगे हमको तो नहीं समझ में आ रहा तो राम जी ने सोने का घोड़ा

(46:23) बनवाया सोने का और डिसाइड ये किया कि इसी सोने के घोड़े की बली दी जाएगी ओरिजिनल होले घोड़े को कहे मारे वो जीव है भैया नि जवान उसको काहे मारे इसको दिया जाएगा अब देखो समस्या क्या हुई जिस दिन अश्वमेघ यज्ञ होना था जिस दिन घोड़ा लौट कर के आया तो पूरी प्रजा बैठी है उधर तमाशा देखने के इंतजार अब घोड़े का बलि दिया जाएगा देवता हम पर प्रसन्न हो जाएंगे और देवता का आशीर्वाद हम सभी को मिलेगा सब खुश है राम जी वहां पर कहते हैं जब बोला गया ना कि घोड़े को बुलाओ तब राम जी सोने के घोड़े को बुलाते हैं लोग देखते हैं ये क्या तरीका भैया ये क्या बदमाशी है सोने के

(46:53) घोड़े को बुलाया असली घोड़ा कहां है तब राम जी ने अपना बात उनके सामने रखना शुरू किया ऐसी ऐसी बात है भैया ऐसा नहीं करना चाहिए वो प्रजा एकदम लगी विरोध करने ए ये क्या है आज कल के लौंडे हमको सिखाएंगे लौंडे ही थे उस टाइम पे जवान थे आज क लौंडे ऋषि मुनि जितने ज्ञानी सब आए वो सब विरोध करने लग गए अच्छा गुरु वशिष्ठ भी वहां पे हैं वो कुछ नहीं बोल रहे हैं समझदार है ना गुरु चेले की बॉन्डिंग है वो समझ रहे हैं मेरा चेला लायक है आज निकाल लेगा ये खेल और आज ही इसकी परीक्षा है अपने ही प्रजा के विरोध में खड़ा होकर के प्रजा का दिल जीतना देखते हैं आज अगर ये

(47:22) कर गया तो फिर ये खेल जाएगा कहते हैं लौंडा खेल गया तो वो मोमेंट था अब प्रजा से लगातार ऋषि मुनि जितने हैं सबसे वार्तालाप चल रहा है जंग चल रही है राम अपना लॉजिक वो अपना लॉजिक ये ल डम डम डम डम डम डम चल रहा है लेकिन फाइनली सब लोग मान गए राम जी की बात को इस पूरी घटनाक्रम से कहानी से मैं आपको समझाना क्या चाह रहा हूं जरा ध्यान से समझिए मोरल राम जी वो हैं जिन्होंने अपनी पत्नी जब हर ली जाती है रावण के द्वारा एक साल के पेशेंस के बाद पूरी सेना तैयार करने में लगाया एक साल और जाकर के हमला किया रावण के पूरे वंश को खत्म कर दिया सर क्या दिखाया वहां

(47:58) पर ताकत का एक्सट्रीम सर कौन थे राम जी वो अयोध्या से निकले हुए ऋषि ऋषि टाइप उनके पास तो कोई सेना नहीं कुछ नहीं तीन लोग थे बस सीता जी रा लक्ष्मण जी और वो राम जी सीता जी को लेक गया राम और लक्ष्मण बचे दो लोग थे उस दो लोगों के बीच उस आदमी ने डिसाइड किया इसका पूरा वंश खत्म करूंगा मैं और वहां से शुरुआत करते करते एक साल लगे लेकिन पूरी सेना तैयार करके लंका का खेल खत्म कर दिया वंश नाश कर दिया यानी कि ताकत की एक्सट्रीम ताकत की सीमा को लांग ना दिखाया अगली घटना जब वहां से सीता जी को लेकर के आए तो उसके पास जनता में विरोध

(48:34) होने लग गया क्या होने लग गया सीता जी एक साल तक वहां रह कर के आई हैं पता नहीं रावण ने इनके साथ क्या किया होगा कैसा व्यवहार किया होगा मतलब चरित्र पर लांछन लगने लग गया माहौल गड़बड़ भैया भैया ऐसा लग रहा है और राम जी राजा अब राजा एक आम आदमी होगा तो उस वक्त क्या करेगा आम आदमी शायद जनता का विरोध करेगा कि भाई तुम ऐसे कैसे कर सकते हो मेरी बात नहीं ब मारेंगे भागे कि नहीं पत्नी हमारी हमको पूरा विश्वास से भग से लेकिन तो राजा अच्छा राजा की परीक्षा क्या जो राजा करेगा वही डुप्लीकेट होगा उसके राज्य में मतलब अगर पत्नी कहीं रह कर के आई है और उन्होंने ये

(49:04) बोल दिया कि हमको भरोसा है तुम लोग भाड़ में जाओ तो ये कल्चर हो सकता है डुप्लीकेट हो जाए नहीं अच्छा राम जी तो सीता जी को बोल दिए थे कि हम तुमको कहीं नहीं भेजने वाले तुम रहोगी यहीं लेकिन सीता ने जब बढ़ता विरोध देखा प्रजा का तो सीता जी ने खुद बोला कि आपकी इज्जत पर हम ऐसे आंचल नहीं आने दे सकते आपकी इज्जत ऐसे डूबती हुई मैं नहीं दिख सकती खुद उन्होंने राम जी को वचन दिया कि हमको आप रोकिए का नहीं प्रभु हम चले जंगल और आज के बाद हम दोनों अलग क्योंकि आपका यह दायित्व है कि आप प्रजा में कोई भी ऐसा मैसेज ना जाने दें जिसकी वजह से गलत कल्चर डेवलप हो जाए मैं

(49:34) पूर्ण पवित्र हूं मा गंगा की भांती निर्मल हूं मैं किंतु अयोध्या नरेश श्रीराम यह कभी नहीं चाहेंगे कि भविष्य में कभी भी कोई उनकी पत्नी के चरित्र पर संदेह करें सीता जी बोल बहुत मैच्योर थी ना सीता जी वो खुद समझा रहे हैं राम जी को कि आप अगर एक इंडिविजुअल होते प्रजा के पार्ट होते तो डेफिनेटली आप एक ऐसा कर सकते थे कि प्रजा को मना कर दे ते म हम को तुम मतलब नहीं है मेरी पत्नी है हम रखेंगे साथ में लेकिन आप राजा हैं बीइंग अ किंग बीइंग अ लीडर आप जो करेंगे सर वही कल्चर जाएगा इसलिए कल्चर खराब ना हो तो हमें ये कुर्बानी देनी पड़ेगी अब वचन दे दी सीता

(50:21) जी तो राम जी ने छोड़ना पड़ा सर ये क्या दिखाता है एक्सट्रीम त्याग सर प्रजा के कहने की वजह से कोई अपनी पत्नी से अलग होता है क्या और वो भी उस पत्नी से इतना प्रेम कहते जब से सीताजी जंगल गई थी रहने के लिए राम जी कभी बिस्तर पर नहीं सोए कोने में नीचे बिछुवा था क्योंकि अब भैया जंगल गई है वो थोड़ी बिस्तर पर सोती होंगी पूरी जिंदगी जमीन पर सोए बीइंग अ किंग राजा होते हुए सर क्या दिखाता है त्याग का एक्सट्रीम इससे बड़ा त्याग क्या हो सकता है यानी कि अगर ताकत का एक्सट्रीम आप देखो राम जी से दूसरा एग्जांपल आपको नहीं मिलेगा त्याग का अगर एक्सट्रीम देखो वो

(50:52) राम है अच्छा प्रेम का एक्सट्रीम सर बेजुबान घोड़ा जिस प्रजा में गलत कल्चर ना चला जाए जिस प्रजा का मान रखने के लिए अपनी पत्नी से अलग हो गए सर उसी प्रजा के विरोध में खड़े हो गए थे घोड़े की जान बचाने के लिए सर प्रेम का इससे बेहतर प्रेम का एक्सट्रीम लेवल पर जाकर के एग्जांपल सेट करने वाला राम से दूसरा आपको कौन मिलेगा ये है राम जी के पीछे पड़े थे शनिदेव हनुमान जी पहाड़ के किनारे पानी पी रहे थे तो पीछे से आए शनिदेव बोले हनुमान जी आपका टाइम आ गया है क्या टाइम आ गया भाई तो बताए क्या वैसे हम आप पर हावी होने वाले हैं आपकी

(51:29) साढ़े साती अब शुरू होगी बोले ठीक है कहां आप हावी होंगे मेरे शरीर के कौन से अंग पर हावी होंगे बोले तुम्हारे सर पे हम हावी होंगे बोले ठीक है हो जाइए शनिदेव पहुंच गए उनके सर पर तो हनुमान जी ने क्या किया बगल से बड़ा सा पर्वत अपने सर पे रख लिया तो सनिदेव दब गए बोले अरे दर्द हो रहा है हटाओ हटाओ ये पर्वत हटाओ हनुमान जी ने एक और पर्वत रख दिया बोले ये क्या कर रहे हो हनुमान जी हटाओ हटाओ ऐसे बोले पानी पीने का हमारा यही स्टाइल है हम जब भी पानी पीते हैं पर्वत रख के रखते हैं पांच छह पर्वत रखते हैं तब जाके हम पानी पीते हैं

(51:55) तो बोले गलती हो हमसे हटाओ ये सब हटाओ हमसे नहीं सहा जा रहा हटाओ हटा जो बोलोगे वो करेंगे लेकिन ये सब हटाओ बोले ठीक है त हटाए बोले हमको प्रॉमिस करो आज के बाद हमको तो छोड़ो आप किसी भी राम भक्त को परेशान नहीं करोगे किसी भी राम भक्त को आप दंड नहीं दोगे शनिदेव ने बोला कि ठीक है भैया जहां भी दुनिया में हमको राम भक्त मिले मैं नहीं दूंगा किसी को सजा समझना यहां पे मोरल ऑफ द स्टोरी समझने वाली बात यह है कि शनिदेव ने भी माना कि राम भक्त को सजा देने का कोई मतलब नहीं है क्यों अच्छा राम भक्त मैं उसकी बात नहीं कर रहा जय श्री राम जय श्री राम लिखवाने वाले

(52:27) गाड़ी वो नहीं भक्त का मतलब क्या आप जिसके भक्त हो उसका ऑर्डर फॉलो करने वाला उसकी बात को इंप्लीमेंट करने वाला भक्त वो थोड़ी है जिसने जो अपने प्रभु के लिए कहीं भी लड़ जाए लेकिन अपनी प्रभु की बात ही ना माने प्रभु ने बोला कि जाओ मेरे लिए खाना ले आओ प्रभु हम तो आपके भक्त हैं हम खाना नहीं लेंगे हम यही रहेंगे आपकी रक्षा करेंगे हम बोले अरे हमको भूख लगा है लेकर के नहीं प्रभु हम जाएंगे नहीं आप चाहे भूखे मर जाओ हम रहेंगे यही ये भक्त है भक्त कौन प्रभु की बात कर र स अनुसरण करने वाला फॉलो करने वाला तो शनिदेव भी समझे कि जो सच्चा राम भक्त है उसमें चरित्र का दोष

(53:01) नहीं हो सकता वो दूसरों का बुरा नहीं हो सकता वो कर्मठ होगा मेहनती होगा तो ऐसे को दंड देने का मतलब क्या भाई वो तो दंड का पात्र है ही नहीं अधिकारी है ही नहीं तभी तो आप देखते होगे शनिदेव का जहां भी मंदिर है वहां बगल में हनुमान जी जी है देखो चरित्र ना प्रोटेक्टर होता है आपकी ताकत का आपके ज्ञान का कितनी भी पढ़ाई लिखाई कर लो आपका बच्चा कितनी भी पढ़ाई लिखाई कर ले सर कैरेक्टर अगर गड़बड़ है ना कहते हैं ज्ञान कोई छीन नहीं सकता कहते हैं ना बेटा एक बार पढ़ लो फिर तुम्हारा पढ़ाई लिखाई तुमसे कोई नहीं लेगा तुम्हारा ज्ञान कोई

(53:29) नहीं लेगा सर नष्ट हो जाता है ज्ञान चरित्र के अभाव में ताकत डेवलप कर लो चरित्र के अभाव में ताकत भी नष्ट हो जाता है तो चरित्र एक प्रोटेक्टर की तरह काम करता है जो दोनों को प्रोटेक्ट करके रखता है ये दोनों कभी नष्ट नहीं हो सकते सर भगवान ने ना हमारे को शरीर दे दिया मन दे दिया दिमाग दे दी बुद्धि दे दिया विचारों का कंट्रोल हमारे पास छोड़ा है इसीलिए कि आप क्या करते हो फिर भी हम मांगते रहते हैं सर सर आपका बच्चा जब आपके आपके पास आकर करके यह बोलता है ना थैंक यू पापा इतना बढ़िया आपने मुझे एजुकेशन दिया जिसकी वजह से मैं आज मैं जिंदगी में जो भी हूं

(54:01) वो आपकी वजह से हूं सर आपको तब ज्यादा खुशी होगी या जब आप ही से वो बच्चा नौकरी दिलवाने के लिए कहता है तब खुशी होगी यानी कि जब य दुनिया में कोई भी आदमी आपके लिए थैंकफूल है कृतज्ञता दिखाता है तब आपको ज्यादा अच्छा लगता है बजाय कि वो मांगे भगवान भी ऐसे ही है सर वो भगवान है ना उनको तो सब पता है आप जब भी मंदिर जाओ मंदिर जाओ हमेशा जाओ पूजा पाठ करो थैंक यू बोल के आ जाओ भगवान जो है आपकी वजह से है जैसा भी समय है उसके लिए थैंक यू अच्छा समय है तो थैंक यू तो बोलो ही बुरा समय है तो भी थैंक यू बोलो और अगर कुछ मांगना ही है तो मैं कहता हूं बस ये मांग लेना कि

(54:35) शक्ति देना संघर्षों से लड़ने का शक्ति देना टाइम थोड़ा भी मुश्किल जरूर है बस शक्ति बनाए रखना हाथ बनाए रखना लड़ के खुद ही निकलूंगा मैं नहीं भगवान दे दो बहुत मुसीबत है आजाद करवा दो इससे ऐ आदमी को मिलता ही नहीं कुछ फिर और आज का तो डिजिटल युग है आजकल की भक्ति भाई अलग लेवल पे है एकदम आजकल के भक्ति का डेफिनेशन क्या है जिसके राम जी कृष्ण जी शिव जी की फोटो और रील लगा हुआ है वो भक्त है हैं नहीं मंदिर जाओ तो पीछे शिव जी की मूर्ति है ब नहीं जाएंगे लोग रील बनाने को नहीं मिलेगा ना फोटो खिंचवाने को नहीं मिलेगा ना काहे को जाएगा भक्ति की परीक्षा तो यही

(55:30) हो गई डिजिटल युग का खेल है ये मांगना छोड़ो सर मांगना छोड़ो और मैं तो कहता हूं अगर आपको पाना है कुछ दे दे मुझे कोई तो मैं कहता हूं रावण की पूजा करो क्योंकि रावण ने हासिल किया है पूरी जिंदगी मांगा है सब कुछ दूसरो ही तो लिया उसने पुष्पक विमान इंद्र से ले आया लंका कुबेर से ले आया पत्नी राम जी से ले आया सब कुछ दूसरे से ले आया तो आपको अगर मांगना है छीनना झपटना है तो रावण भक्त बनो फिर क्योंकि राम भक्त बनना है तो राम ने तो पूरी जिंदगी खोया है बस पत्नी खोई राज्य खोया भाई खोया मान सम्मान खोया राम आपको बेहतर बनना सिखाते हैं सिर्फ राम की पूजा करोगे

(56:08) तो पाने की उम्मीद छोड़ो बनने की उम्मीद डेवलप करो क्योंकि पाना नेक्स्ट है कुछ बनने के जब तक आदमी बनता नहीं है कुछ व पा भी नहीं सकता ना अगला लेसन मैं कुछ लेसन अभी स्किप कर रहा हूं क्योंकि हमारे पास समय की कमी है एक लास्ट लेसन आपको बताता हूं हमारे पास वैसे 18 लेसन मैं लेकर के आया था और आपको हमने अभी तक सिर्फ नौ लेसन सर्व किए हैं बाकी नौ अपने पास बाकी है पिटारे में अब आपका प्रेम दोबारा कलकाता में जब बसे तो आ जाऊंगा क्योंकि हमने तो एक चीज डिसाइड किया है देखो ये मन मंथन की सीरीज मैं पूरे भारत में लेकर घूमने वाला हूं और हर जगह रिपीट नहीं होने वाला है

(56:39) सेशन अगर आज हम कोलकाता में जो हमने सेशन किया कल को दिल्ली में करेंगे तो वो बिल्कुल अलग होगा मुंबई में करेंगे तो बिल्कुल अलग होगा हर जगह बिल्कुल अलग करेंगे तो नौ हो सकता है कलकाता में दोबारा मिले बाकी का नौ दिल्ली में इस्तेमाल हो जाए एक आखिरी लेसन ध्यान से समझिए बिल्कुल सर ये सबसे ज्यादा इंपोर्टेंट सबसे जितने लेसन हमने सीखे ना और इससे आप डायरेक्ट रिलेट कर पाओगे आपके साथ अभी एगजैक्टली इसी मोमेंट प ये चीज हो रही है बिल्कुल डायरेक्ट आप में हर किसी की कहानी हो सकती है अभी जो बात करने वाला हूं कहानी है महाभारत की महाभारत की लड़

(57:08) लड़ाई में सर जितने भी लोग लड़ रहे थे ना जितने महाबली लोग थे सबका अपना पर्सनल एक स्वार्थ है दुर्योधन क्यों लड़ रहा था पांडवों को बर्बाद करना है सारा राज्य अपना बनाना है सर युधिष्ठिर क्यों लड़ रहे थे उसको राज्य वापस लेना है धर्म की स्थापना करना है नहीं अच्छा द्रोणाचार्य क्यों लड़ रहे थे क्योंकि वो हस्तिनापुर के गुरु थे भैया जो राज्य शासक है हमको उसी की तरफ से लड़ना मतलब अपनी लॉयल्टी साबित कर रहे थे वो भीष्म पितामह क्यों लड़ रहे थे क्योंकि उनका भी वचन था जो कि शासक जो है शासक हस्तिनापुर का हम तो उसी सफ से लड़ेंगे ही लड़ेंगे तो उनका पस

(57:38) स्वार्थ है अपना वचन निभाना है कृष्ण कहते हैं कर्ण से चलो थोड़ी देर बाद बताता हूं वैसे महाभारत के लड़ाई में ना दो ही ऐसे कैरेक्टर थे जिनका पर्सनल स्वार्थ नहीं था एक भगवान कृष्ण दूसरा कर्ण इन दोनों का कोई पर्सनल स्वार्थ नहीं था फिर भी लड़े जा रहे हैं पूरे युद्ध में प्रेजेंट है एक ने तो अपनी जान गवा दी हुआ क्या कर्ण को जब गले में तीर लगता है ना अर्जुन का और वो सिसक सिसक कर मरने वाला है तो बड़ा बेचैन है क्यों बेचैन है उसको समझ नहीं आ रहा मेरे साथ जिंदगी में क्या हो गया यार हम कैसे मर गए इतने बड़े महाबली कंफ्यूज

(58:09) है पूरा तड़प रहा है उसको लग रहा कोई मेरे सवाल का जवाब दे दे नहीं तो मेरी आत्मा को शांति ना मिले तो बगल में श्री कृष्ण ने बुलाया उनको वासुदेव जरा आइए इधर श्री कृष्ण गए बताओ भाई क्या हो गया तो बोले आप ही मेरे समस्या का समाधान कर सकते नहीं तो मेरी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी बोले बताओ क्या है बोले एक बात बताइए कृष् वासुदेव बचपन से जब मैं पैदा हुआ तो मेरी मां ने मुझे गंगा में बहा दिया क्यों क्योंकि वो कुंवारी थी इस मेरा क्या दोष अगर कुंवारी मां के घर में मैं पैदा हो गया तो मेरा क्या दोष जब मैं बड़ा हुआ अच्छा सास सस्त्र चलाने में मेरी रु रुचि

(58:42) थी और लोग मेरा मजाक उड़ाते थे कि तू तो सूद पुत्र है शस्त्र काहे को चलाता है हर जगह मेरी हंसी उड़ती थी अब मेरे में शस्त्र चलाने की रुचि है तो मेरा क्या दोष मैं सीखने जाता हूं गुरु द्रोणाचार्य के पास कि मुझे सिखाइए तो गुरु द्रोणाचार्य हमको बेइज्जत करके भागा देते तुम सूत्र पुत्र तुमको क्या औकात तुमको ये सब थोड़ी सिखाएंगे भागा अब मैं सूद पुत्र हूं तो इसमें मेरा क्या दोष जो मुझे बेइज्जती से नहीं पड़ी अब कोई भी गुरु मुझे सिखाने को तैयार नहीं है मुझे सीखना है तो मजबूरी में मैंने परशुराम जी का सहारा लिया ब्राह्मण वेश धर के उनके पास गया क्योंकि

(59:10) क्षत्रियो को सिखाते नहीं थे परशुराम ने मुझे ट्रेनिंग दी सब कु सिखाया लेकिन लास्ट में श्राप दे दिया और श्राप इसलिए दिया क्योंकि मैं उनको अपनी जांग पर सुला रहा हूं और एक मकड़ा टाइप कोई जीव आ जाता है वो मुझे काटने लग जाता है खून निकल रहा है मेरा मैं हिलता इसलिए नहीं हूं कि प्रभु गुरु जी का नींद खुल जाएगा और गुरु जी की जब नींद खुलती है तो मेरे पैर से पूरा खून बह रहा है ये गुरु जी देख के समझ जाते हैं कि मैं ब्राह्मण तो नहीं हूं क्योंकि ब्राह्मण में इतनी सीमा नहीं होती इतनी सहन शक्ति नहीं होती इसलिए मुझे श्राप दे देते हैं कि जब भी तुम्हें

(59:41) शक्तियों का जरूरत पड़ेगा तुम्हारी विद्या कोई काम की नहीं रहेगी तो अगर गुरु भक्ति में दर्द सहने की क्षमता मेरे में है मेरे गुरु की नींद ना टूटे इसलिए मैंने वो दर्द सहा तो इसमें मेरी क्या गलती गती है इतना ही नहीं जब मैं शब्द भेदी बाण का प्रैक्टिस कर रहा था तो गलती से मेरा बाण एक बछड़े को लग गया और बछड़े का मालिक से मैं हाथ जोड़ कर के विनती किया भाई साहब ये गलती से हुआ मेरे साथ ये दुर्घटना है दुर्घटना किसी से भी हो सकती है लेकिन फिर भी उसने मुझे श्राप दिया कि मैं भी इसी तरीके से ससक ससक के मरूंगा इसमें मेरी क्या गलती थी यहां तक कि जब द्रौपदी

(1:00:17) स्वयंवर हो रहा था वहां खुद द्रोपति ने मेरे हंसी उड़ाई सबने हंसी उड़ाई कि सूद पुत्र है पूरी जिंदगी मुझे अपमान घरना श्राप यही सब मिलता रहा है एक आदमी से दुर्योधन ऐसा मिला जिसने मुझे इज्जत भी दिया पैसा भी दिया अगर मुझे जिंदगी में कुछ मिला है तो इस दुर्योधन ने दिया और इसकी तरफ से अगर मैं लड़ा मेरी क्या गलती थी बताओ अब श्री कृष्ण क्या कहते हैं ध्यान से सुनिए वो कहते हैं देखो राधे मैं जब पैदा हुआ था ना कारागार में पैदा हुआ मैं और जब मेरे पैदा होने से पहले ही मौत मेरा इंतजार कर रही थी पैदा होने के बाद मुझे अपने मां-बाप से अलग कर

(1:00:58) दिया गया जिस जगह पर रह रहा था वहां लगातार हमले हो रहे थे मैं छोटा था चल भी नहीं सकता था फिर भी लगातार हमले हमले हो रहे हैं पूरे गांव वाले ने मुझे पनौती बोलना शुरू कर दिया था इसी की वजह से सारे हमले हो रहे हैं इसको निकालो यहां से क्या बीतेगी मुझ पर यहां तक कि जब परशुराम तुमको कह रहे थे ना कि शिव के अलावा तुम्हें कोई हरा नहीं सकता इस सृष्टि में उस वक्त उस वक्त तक मेरी कोई शिक्षा नहीं हुई थी तुम तो पढ़े लिखे थे शिक्षा ले चुके थे और इतना ही नहीं तुम्हारी शादी उससे हुई जिससे तुम प्यार करते थे मेरी तो शादी भी उससे हुई जिससे

(1:01:31) मैं प्यार नहीं करता था मैं जिससे प्रेम करता था उससे मेरी शादी नहीं ई जब जरास मथुरा वालों को परेशान कर रहा था तो मजबूरी में अपने समाज को बचाने के लिए मुझे लेकर के भागना पड़ा द्वारका बसाना पड़ा यमुना किनारे से निकल के समुंदर किनारे जाना पड़ा तो दुनिया ने मेरा नाम रख दिया रणछोड़ भगौड़ा अब इसमें मेरी क्या गलती थी तो समझाते हैं श्री कृष्ण यह दुनिया ना हर किसी के साथ अन्याय करती है जिंदगी हर किसी के साथ अन्याय करती है लेकिन आप पर डिपेंड करता है कि उस अन्याय के बदले आप कैसे रिएक्ट करते हो अन्याय दुर्योधन के साथ अगर हुआ है तो युधिष्ठिर

(1:02:11) के साथ भी हुआ नहीं अन्याय तुम्हारे साथ हुआ तो मेरे साथ भी हुआ यानी कि अन्याय दुनिया में तो हर किसी के साथ हो रहा है जिंदगी का नेचर है अन्याय करना हर किसी के साथ लेकिन जिंदगी यह भी चेक करती है कि कौन है जो मेरे इस अन्याय किए हुए के बदले धर्म का रास्ता पकड़ के चलता है उसी को तो महान कहेंगे तुमने अपने साथ हुए अन्याय से बचने के लिए अधर्म का रास्ता पकड़ लिया मैंने अपने साथ हुए अन्याय से बचने के लिए धर्म का राहन पकड़ा रखा और दुनिया में कोई भी आदमी अगर अन्याय से बचने के लिए तुम्हारे जैसा रास्ता पकड़ेगा तो उसका हाल वही होगा जो तुम्हारा

(1:02:51) हुआ है दरअसल बात यह है सर रुको समझने वाली बात ताली बजाने की नहीं यहां दिमाग में घुसाने की बात जरूरत है हर आदमी को यह नहीं लगता कि उसकी समस्या सबसे ज्यादा बड़ी है हर आदमी को यह नहीं लगता कि उसके साथ जो हो रहा है वह उसी के साथ हो रहा है हर आदमी को लगता है कि मेरे ही साथ क्यों ऐसा दर सल य वो सबके साथ रहा है सर आपकी जिंदगी उससे बनती है कि आप इसके अगेंस्ट एक्शन कैसा लेते हो आपकी प्रतिक्रिया कैसी है जैसी आपने प्रतिक्रिया करी वैसी आपकी जिंदगी बन गई वैसा आपका नाम बन गया वैसा आपका पहचान बन गया कर्ण से बड़ा शक्तिशाली

(1:03:28) पूरे महाभारत में कोई नहीं था कृष्ण को छोड़ कर के फिर भी वो मामूली मामूली ही कहूंगा मैं कर्ण के सामने तो मामूली था अर्जुन उसके बान से मर गया और इतनी बात सुनने के बाद तब जाके कर्ण आराम से खुश हो करके मरता आएगा सही कह रहे हो गलती तो मैंने कर दी तब वो सांस छोड़ता है मोरल ऑफ द स्टोरी एक चीज समझने की कोशिश कीजिएगा सर आपको नहीं लगता कि हम सब के अंदर कर्ण है कर्ण मतलब कौन ताकत शक्ति और जिससे साथ में यह भी फीलिंग है कि समाज उसके साथ गलत कर रहा है भगवान उसके साथ गलत कर रहा है किस्मत उसके साथ गलत कर रही है नहीं हमके सबके साथ तो य फीलिंग है यानी

(1:04:07) कि कण है हमारे अंदर सबके अंदर लेकिन कर्ण ने जो किया वैसा हम ना करके अगर हम सही का हाथ पकड़ के रखें गुंडा मवाली ना बन जाए किसी के साथ छीनने कपट ने छल करने का अगर नियति हम ना रखें तो आपको नहीं लगता कि हम भी अर्जुन कहलाएंगे अर्जुन बन के रहेंगे और मैं तो कहता हूं जो जो अर्जुन बन के रहे सर श्री कृष्ण तो उसके साथ आएंगे ही आएंगे एक बात बताता हूं आपको जब कुंती ने ना अपने युद्ध के पहले 100 दिए उसने जलाए थे कुंती ने क्यों 100 पुत्र कौरव जब जब एक कौरव मरेगा वो दिया बुझा देगी तो धृतराष्ट्र आकर के बोले कुंती क्या कर रही हो तो कुंती ने बताया आपके पुत्रों के लिए

(1:04:53) 100 दिए मैंने जला तो धृतराष्ट्र हसने लग गया बोले हमारे कौरवों के साइड देखो इतने बड़े-बड़े महारथी है तुम्हारे साथ कौन है कौरब नहीं मरने वाले पांडवों की चिंता करो तुम तो कुंती कहती है कुछ भी हो पांडवों के साथ वसुदेव है तो कहते वसुदेव क्या कर लेंगे वो तो लड़ेंगे ही नहीं सस्त्र उठाने वाले तो है ही नहीं वो क्या फर्क पड़ेगा फिर तो कुंती क्या कहती है ध्यान से सुनिए कुंती कहती है जिसके साथ वसुदेव है ना उसको शस्त्र उठाने की जरूरत नहीं है वसुदेव खुद शस्त्र नहीं उठाते व जिस पक्ष में होते हैं पूरी सृष्टि उसके लिए लड़ती है पूरी सृष्टि उसके साथ होकर लड़ती है

(1:05:35) फिर उसे कौन मार पाएगा फिर उसे कौन हरा पाएगा ताकत सबके पास है सर जैसे कण के पास ताकत थी सबके पास है हर किसी के पास है जरूरत है बस जगाने की हम सब जिंदा है बस जगे हुए नहीं है हम सबके पास मन है दिमाग है बस एकाग्र नहीं है हम सब ज्ञानी हैं बस क्या करना है वह भूल जाते हैं हम सब भगवान की बातें सुनते हैं लेकिन भगवान की बातें मानते नहीं है हम सब मंदिर जाते हैं लेकिन की मंदिर की ऊर्जा को महसूस नहीं करते एक फिल्म का डायलॉग था ना भगवान में मानते तो हो आप लेकिन भगवान की नहीं मानते

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