गुरु द्रोण ने एकलव्य से अंगूठा क्यों माँगा | कमजोर लोगों की संगत | Law of Environment | Sagar Sinha

कमजोर की संगत आपको हमेशा कमजोर बनाएगी कमजोर इंसान की संगत में अगर आप हो तो कभी पावरफुल नहीं बन सकते कमजोर इंसान की अगर आप संगत में हो तो कभी तेज आपका बाहर नहीं आ सकता टेंपरेचर का खेल होता है तापमान का खेल होता है एक बाल्टी पानी में 10 बर्फ के टुकड़े डाल दो छोटे-छोटे फ्रिज से निकाल कर के एक बाल्टी गर्म पानी में फ्रिज से निकाल के 10 छोटे-छोटे बर्फ के टुकड़े डाल दो क्या होगा वो बर्फ के टुकड़े पिघल जाएंगे लेकिन वही पानी एक बाउल हो छोटा सा बाउल और उसमें आपने वही गर्म पानी है उसमें आपने 10 15 20 बर्फ के टुकड़े डाले वो गर्म पानी नॉर्मल हो जाएगा

Why Did Guru Dronacharya Ask for Eklavya's Thumb? | Power of Association with Sagar Sinha

(00:32) नॉर्मल होने के बाद वो ठंडा हो जाएगा समझ रहे हो खेल खेल ये है कि जिसमें ज्यादा शक्ति है वो उसकी तरह बन जाता है और ये जो कमजोर लोग होते हैं इनके पास वो स्ट्रेटजी होती है कि मजबूत आदमी उस स्ट्रेटेजी को कई बार समझ नहीं पाता है और कमजोर की लपेट में आकर के बर्बाद हो जाता है अब सुनो लेसन आपको समझाता हूं स्टोरी के माध्यम से जब पांडव गौरव बचपन में द्रोणाचार्य के आश्रम में सीख रहे थे उसी टाइम पे वो एकलव्य वाला कांड हुआ था एकलव्य का कांड तो आपको पता ही है अंगूठा मान लिया मांग लिया था द्रोणाचार्य ने और पूरी दुनिया उसका कारण ये जानती है कि द्रोणाचार्य

(01:00) अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ बनाना चाहते थे इसलिए एक एकल बका अंग उठा मान लिया था दरअसल ये सच नहीं है सरासर झूठ है सच भी बताता हूं तो ये जिस दिन ये कांड हुआ द्रोणाचार्य ने एक लभ का अंगूठा मांगा सारे उसके शिष्य वहीं पर थे दुर्योधन भी देख रहा था इधर अर्जुन भी देख रहा था युधिष्ठिर भी सब देख रहे थे तो ये देख कर के दुर्योधन शौक हो गया शौक तो सभी हुए थे कि भैया इतना बड़ा बढ़िया एकलव्य गुरु की पूजा कर रहा है गुरु गुरु मान रहा है मूर्ति बना के सीख रहा है कोई भी आदमी कोई भी गुरु होगा तो उसको गले से लगा लेगा लेकिन ये द्रोणाचार्य ऐसा गुरु उसका

(01:29) अंगूठा मान लिया बर्बाद कर दिया उसका खेल खत्म कर दिया तो सभी लोग चिंता में थे ही कि भैया ये गुरु ने हमारे ऐसा क्यों कर दिया एक आदमी को दिक्कत नहीं हो रही थी वो था अर्जुन क्योंकि अर्जुन हो अपने गुरु का परम भक्त उसको यकीन था उसको पूरा विश्वास था अगर गुरु ने किया है तो कुछ ना कुछ सोच के ही किया होगा कुछ ना कुछ अच्छा ही किया होगा कारण मुझे भला ही नहीं पता लेकिन गुरु ने किया तो ठीक ही क्या होगा अब जो दुर्योधन था ये बड़ा परेशान रहता था इसी चीज से कि ये जो अर्जुन है अब दुश्मनी तो बचपन से थी दोनों में दुर्योधन परेशान

(01:55) रहता था ये अर्जुन अर्जुन जो है इसकी द्रोणाचार्य से बहुत पड़ती है गुरु से बहुत पड़ती है गुरु इसको बहुत मानता है और दुर्योधन चाहता था कि ये ऐसा ना हो अर्जुन बर्बाद हो जाए पिट जाए अब दुर्योधन कमजोर था अर्जुन धनर विद्या में भी बुद्धि में भी बल में भी अर्जुन से हर चीज में कमजोर था तो अर्जुन से लड़ ना सके अर्जुन को सीधा-सीधा परास्त ना कर सके अर्जुन को धनुर्विद्या में वो चैलेंज ना कर सके तो करे क्या कमजोर था वो तो करे क्या अब समझो ध्यान से मैं जो कह रहा हूं कमजोर आदमी की स्ट्रेटजी होती है ध्यान से समझो जो कह रहा हूं कमजोर आदमी को मजबूत आदमी को

(02:22) हराने की स्ट्रेटजी होती है मजबूत आदमी को अपनों से अलग कर दो मजबूत आदमी की मजबूती उसको अ उसके अपनों के साथ में होती है अगर उस मजबूत आदमी को आपने अपने अपनों से अलग कर दिया ना सर वो मजबूत आदमी टूट जाएगा मजबूत और गुनी इंसान को कमजोर करने का एक ही तरीका है उसको अपने अपनों से अलग कर दो उसकी ताकत कमजोर पड़ जाएगी दुर्योधन चूंकि बचपन से सकुनी के साथ रहा था तो कूटनीति उसको अच्छे से आता था उसको समझ में आ गया भैया ये ताकतवर आदमी है अर्जुन तो एक काम करता हूं द्रोणाचार्य से बहुत पटता है ना इसका इसी से अलग करवा देता हूं गया अर्जुन

(02:52) के पास कान भरना शुरू कर दिया कि अरे देखा भैया कैसे गुरु हैं अंगूठा मांग लिया उसका तुमको सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए अर्जुन को बोल रहा है दुर्योधन तुमको सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए अंगूठा मांग लिया आज उसने उसका अंगूठा मांगा है तुमको सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए कल क्या पता कोई और मिल जाए तुम्हारा अंगूठा मांग ले कोई भरोसा नहीं है इस गुरु का ये गुरु गड़बड़ है तो शुरुआत में तो अर्जुन नहीं मांग रहा था लेकिन बार-बार सुनते सुनते सुनते कान में जा रही है बात अर्जुन दुर्योधन बोले जा रहा बोले जा रहा बोले जा रहा तो अर्जुन को भी लग गया हां कुछ बात में तो सच्चाई है

(03:19) गुरु गड़बड़ है हालांकि अर्जुन में इतनी बुद्धि थी इतना संयम था वो पूरी तरीके से अपना आप नहीं खोया ये सुने ऐसा गुरु के सामने फैल नहीं गया ए तुमने ऐसा कैसे कर दिया वो रोते हुए गुरु के पास गया गुरु को यही बोला कि मुझे नहीं समझ आ रहा भैया ये आपने ऐसा क्यों किया मैं समझना चाहता हूं इसका कारण तब द्रोणाचार्य ने उसको कारण बताया कि देखो जो एक क्लब भी था ना जिस राज्य से बिलोंग करता है वो हस्तिनापुर का दुश्मन राज्य हस्तिनापुर कौन जहां से ये कौरव पांडव बिलंग करते थे जहां से ये लोग धृतराष्ट्र भीष्म ये सब बिलंग करते थे तो

(03:44) हस्तिनापुर का वो दुश्मन राज्य है और मैंने पितामह भीष्म से ये वचन दिया है उनको कि मैं किसी भी तरीके से आप लोगों को ऐसा तैयार करूंगा कि हस्तिनापुर का प्रोटेक्शन हो पाए तो हस्तिनापुर को प्रोटेक्ट करने के लिए मुझे पूर को प्रोटेक्ट करने के लिए मिल रहा है तो मैं कैसे किसी भी हाल में एक ऐसे बच्चे को अडॉप्ट कर लूं एक ऐसे शिष्य को अडॉप्ट कर लूं एक ऐसे शिष्य को शिक्षा दूं जो कि कल को हस्तिनापुर को बर्बाद करने वाला बनने वाला है ये सोचकर मैंने उसका अंगूठा मान तब अर्जुन को एहसास हुआ बाप रे बाप ये अपना द्रोणाचार्य तो बहुत दूर की सोचता है

(04:17) गजब आदमी है तो तब उसकी इज्जत अपने द्रोणाचार्य के लिए और बढ़ गई प्रेम और बढ़ गया मैं क्या समझाना चाह रहा हूं मोरल ऑफ द स्टोरी क्या है आपकी संगत में आज जरूर होंगे कुछ लोग या आज नहीं है तो कल को जरूर आएंगे कुछ लोग जब दो भाइयों में लड़ाई होती है ना अपने मोहले में देखा होगा मोहल्ले में गांव में देखा होगा जब दो भाइयों में लड़ाई होती है तो कुछ बदमाश पड़ोसी होता है ना वो आता है कंधे पे हाथ रखने के लिए अरे रे रे रे तुम्हरे साथ बहुत गलत हो गया यार एक काम करो छोड़ो उसको आओ मेरे घर चलो खाना खिलाते हैं आओ मटर पनीर बनाए मेरे घर में चलो चलो चलो और

(04:44) आप अगर उस वक्त उसके घर चले गए कब्जा कर लेगा आपके खोपड़े पर वो आपके भाई से अगले दिन निश्चित देगा वो क्योंकि उसका इंटेंशन ही व कमजोर है ना वो वो आपसे नहीं लड़ सकता आपके भाई से नहीं लड़ सकता और आप दोनों अगर साथ हैं फिर तो कुछ कर ही नहीं सकता उसको पता है कि दोनों को अलग करो फिर दोन दोनों को मार देंगे दोनों का खेल खत्म कर देंगे ऐसा जब भी हो ना सर आपका दोस्त हो आपका भाई हो किसी से लड़ाई होना और कोई तीसरा पर्सन हस्तक्षेप कर रहा है तुरंत उसको मना कर दो ए निकल जाओ अब भी कभी निकल जाओ मेरा भाई है मेरा दोस्त है तुम कौन

(05:11) होते बोलने वाले कई लोग आपको मिलेंगे अरे तुम्हारा अपलाइन तुमको जॉइनिंग नहीं देता क्या मेरा अपलाइन तो मुझे देता है दोनों लेग में देता है इधर भी देता है उधर भी देता है और अगर आपने उसकी बात सुन ली सुनते सुनते सुनते सुनते कान का कनेक्शन सीधा दिमाग से है ये चीज ध्यान रखना हमारा जो स्ट्रक्चर है कान का कनेक्शन सीधा दिमाग से है ये दरवाजा अगर खुला है और इसमें गंदगी जा रही है जा रही है जा रही है वैसे काव भी है घड़े में रखे पानी से अगर बदबू आ रही है ना इसका मतलब किसी ने उसमें गंदगी डाली है ये घड़ा है हमारा इसमें जितनी गंदगी जाती रहेगी जाती रहेगी
(05:38) जाती रहेगी यहां से बदबू आएगा हमारे जुबान हमारे शब्दों से बदबू आएगा हमारे कैरेक्टर से बदबू आएगा हमारे बिहेवियर से बदबू आएगा अगर गंदगी को अंदर जाने दिया तो ऐसे मामले पर ना सुनना ही नहीं कोई अगर कह रहा है नहीं हमारा तो ये तुम्हारी कंपनी में थाईलैंड एक लाख एक लाख है मेरी कंपनी में तो 50 प है उसको उसी वक्त बोलो भैया जुता खोल के मारेंगे चुपचाप निकल जाओ यहां से चुपचाप निकल जाओ यहां से तुमरे में 50 के पांच प होगा तुम्हारी कंपनी है ही चंदी चोर निकलो यहां से अगर आपने उसकी बात सुन ली ना अच्छा 50 आ है कैसे जरा बताओ तो कैसे और आप सुनने लग गए वो बताने लग गया

(06:07) आप सुनने लग गए वो बताने लग गया गंदगी जा रही जा रही जा रही धीरे-धीरे कब्जा हो जाएगा आपको वो अपने अपलाइन से अलग कर सकता है आपको वो अपनी कंपनी से अलग कर सकता है आपको अपने प्रोडक्ट से अलग कर सकता है आपको अपने परिवार से अलग कर सकता है और जिस मोमेंट उसने अलग कर दिया उसकी जीत हो गई और आप हार गए मजबूत आदमी की मजबूती इसी में है कि वो अपनों से साथ ना छूटे उसका जिस दिन अपनों से साथ छूट गया वो कोई भी कोई भी कब्जा कर लेगा उसपे अंग्रेज यही तो किया ना हिंदुस्तान पे अंग्रेज जब आए थे कैसे आए ये कंपनी ईस्ट इंडिया कंपनी लेकर के आए उन्होंने बोला हमें तो बस कंपनी

(06:35) खोलना है ज्यादा कुछ है नहीं उस कंपनी खोल कर के प ऐसे पसार चले गए ऐसे पसार चले गए दुविधा ये हुई शुरुआत में 100 साल तक तो भारत को पता ही नहीं चला कि हम लोग गुलाम हैं हां पता ही नहीं चला गुलाम है गुलाम हो चुके हैं हम लोग 1857 में आपको पता होगा पहली बार विद्रोह हुआ था मंगल पांडे ने किया था तो उस वक्त से बेसिकली वो एक मिशन शुरू हुआ कि अपने लोगों को अवेयर कराना है कि हम लोग गुलाम हैं लोग मानने को तैयार नहीं हम गुलाम हैं तो 50 साल तक वो चला 1900 ईसवी तक फिर 1900 के बाद असल में जागरूकता आई लोगों में के मन में हां भैया हम गुलाम है अब लड़ो भगत सिंह सुभास

(07:05) ये सब जब फील्ड में उतरे तो आजादी 200 साल में नहीं मिली है आजादी मिली है आखिरी के 50 साल में क्योंकि 100 साल तक तो पता ही नहीं था गुलाम है 50 साल तो निकल गए समझाने में कन्विंसिंग े ने तोड़ दिया सबको तोड़ दिया था बांट दिया था मजबूत था भारत देश मजबूत सब लोग एकजुट भाई भाई भाई का प्रेम है यहां पे सोने की चिड़ियां है इतना धन है इतनी संपत्ति है क्या करो तोड़ो सबको पहले तोड़ दिया उसके बाद घुस के खेलो ना मारो एक-एक करके मारो सबको कई लोग ऐसे टकराएंगे सुनना नहीं है सुन लिया ना बर्बाद कर देगा वो मेरी बात से एग्री करते हो चैट प मुझे

(07:34) लिख के बताओ एग्री चैट पे लिख के बताओ एग्री ये सारा देखो मन का खेल है ये सारा चोट मन पर पहुंचाएंगे कभी लोग कभी परिस्थितियां कभी आप खुद मन पर नहीं हावी होने देना इनर स्ट्रेंथ मजबूती मन से है सारा कुछ अपने से कमजोर लोगों से दोस्ती नहीं करने का कभी भी कभी भी नहीं जलन की भावना होने लग जाएगी उनमें और वो जलन की भावना कौन सा षड्यंत्र उनसे करवाएगी आपको समझ में भी नहीं आएगा गुरु पर कभी शक नहीं करने का बुरे लोगों की बात किसी भी हाल में सुनना ही नहीं है मानना तो छोड़ो दूर उन डिस्कशन तो छोड़ो कभी सुनना ही नहीं सुनते सुनते कब आप चपट में आ जाओगे आपको पता नहीं चलेगा

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